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राजस्थान में भू-जल प्राधिकरण मसले पर विपक्ष ने सरकार पर बनाया दवाब, 'पानी पर भी पहरा' कहकर कसा तंज, जानिए पूरी बात

भू-जल प्राधिकरण को लेकर विपक्ष ने तगड़ा रिएक्शन दिया है। विपक्षी विधायकों ने इसके प्रावधानों पर सवाल उठाते हुए कहा कि ट्यूबवेल खुदाई और पानी के उपयोग को रेग्युलेट करने के लिए सरकार के पास पर्याप्त संसाधन ही नहीं हैं। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि जब तक सरकारी जलदाय कनेक्शनों पर मीटर नहीं लग पाए हैं, तब तक ट्यूबवेल और भूजल पर सख्ती से नजर रख पाना मुश्किल होगा।

राजस्थान में भू-जल प्राधिकरण मसले पर विपक्ष ने सरकार पर बनाया दवाब, 'पानी पर भी पहरा' कहकर कसा तंज, जानिए पूरी बात

राजस्थान में इस समय भू-जल प्राधिकरण की चर्चा है। इस विधेयक में सरकार और विपक्ष में जोरो-शोरों से बहस जारी है। नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने भी इस पर कड़ा रिएक्शन दिया है। आम लोगों से जुड़े इस विधेयक की क्या है पूरी बात, जानिए पोस्ट में..

भू-जल प्राधिकरण पर छिड़ी बहस

राजस्थान में सरकार की ओर से भू-जल प्राधिकरण विधेयक पेश किया जाना था। लेकिन इस विधेयक पर पक्ष और विपक्ष में जमकर बहस हुई। जिसके बाद सरकार विधेयक पर पीछे हटते हुए इसे दोबारा विधानसभा की प्रवर समिति के पास भेज दिया है। विधानसभा में जोरदार बहस के बाद जलदाय मंत्री कन्हैया लाल चौधरी ने इसे सेलेक्ट कमेटी को फिर से भेजने का प्रस्ताव रखा, जिसे सदन ने भी मंजूरी दे दी। बता दें, ये विधेयक पिछले साल अगस्त में भी सेलेक्ट कमेटी को भेजा गया था। बाद में फरवरी में समिति की रिपोर्ट सौंपने की समय सीमा बढ़ाई गई। हाल ही में समिति ने अपनी रिपोर्ट पेश की थी, जिसके बाद सरकार ने इसे फिर सदन में लाने का फैसला किया। लेकिन अब दोबारा प्रवर समिति को सौंपे जाने से इस पर अमल में और देरी होने की आशंका बढ़ गई है।

विपक्ष ने उठाए कड़े साल

भू-जल प्राधिकरण को लेकर विपक्ष ने तगड़ा रिएक्शन दिया है। विपक्षी विधायकों ने इसके प्रावधानों पर सवाल उठाते हुए कहा कि ट्यूबवेल खुदाई और पानी के उपयोग को रेग्युलेट करने के लिए सरकार के पास पर्याप्त संसाधन ही नहीं हैं। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि जब तक सरकारी जलदाय कनेक्शनों पर मीटर नहीं लग पाए हैं, तब तक ट्यूबवेल और भूजल पर सख्ती से नजर रख पाना मुश्किल होगा। साथ ही नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली कांग्रेस के विधायक हाकम अली, रफीक खान और हरिमोहन शर्मा ने सरकार के इस कदम की कड़ी आलोचना की है।

अपनी बात को जारी रखते हुए कहा गया कि अब तक पानी ही एकमात्र ऐसी चीज़ थी, जो बिना किसी रोक-टोक के मिलती थी। सरकार इस पर भी पहरा बैठाना चाहती है, जिससे आम जनता को परेशानी होगी और अफसरशाही का दबदबा बढ़ेगा। इस विधेयक का मकसद भू-जल दोहन को नियंत्रित करना और जल संरक्षण को बढ़ावा देना है। लेकिन विपक्ष ने इस पर सवाल उठाए हैं। विधानसभा में इस मुद्दे पर क्या होता है, इस पर सभी की नजरें हैं।