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कोटा के सपनों को फिर से लगे पंख, एडमिशन लेने पहुंच रहे बच्चे, पढ़ें एक क्लिक में

कोटा में छात्रों की आत्महत्याओं की बढ़ती संख्या और कोचिंग संस्थानों की स्थिति पर चर्चा। माता-पिता की चिंताओं और शिक्षा के दबाव का असर।

कोटा के सपनों को फिर से लगे पंख, एडमिशन लेने पहुंच रहे बच्चे, पढ़ें एक क्लिक में

कोटा। सरकारी परीक्षाओं की तैयारी के लिए फेमस बीते कुछ समय से आत्महत्या का सेंटर बन गया है। बीते सालों में पढ़ाई के प्रेशर में छात्रों द्वारा आत्महत्या करने के संख्या में वृद्धि हुई है। जिसे देखते हुए मां-बाप ने बच्चों को कोटा भेजना बंद कर दिया था। हालत इतने खराब हो गए थे, कि 2021-2022 में एडमिशन लेने वाले छात्रों की संख्या तीन-चार लाख होती थी,जो बीते साल 50-70 हजार तक रह गए थे। जिसका असर की शहर की इकॉनमी पर साफ दिखाई दे रहा था। बात इतनी बिगड़ी की शासन-प्रशासन को दखल देना पड़ा। हालांकि सरकार के मेहनत रंग लाई और फिर से कोटा में पढ़ने के लिए बच्चे पहुंच रहे हैं। 

सरकार लेकर आई है खास बिल 

गौरतलब है, बीते दिनों भजन लाल सरकार ने सदन में कोचिंग संस्थानों से जुड़ा बिल पेश किया था। हालांकि इसमें 16 साल से कम उम्र के बच्चों को दाखिला देने से जुड़ा कोई भी प्रावधान नहीं था। ऐसे में कयास जा रहे है, इस बिल के बाद दूसरे राज्यों से आने वाले छात्रों की संख्या में कोई फर्क नहीं पड़ेगा। यही वजह है, साल 2025 में सेशन की शुरुआत होने के साथ बच्चों की संख्या में वृद्धि हो रहे हैं। ऐसे में उम्मीद है ये साल कोचिंग संस्थानों के साथ कोटा की अर्थव्यस्था के लिए भी राहत लेकर आएगा। 

कोटा सुसाइड केस आंकड़ा 

बता दें, 2025 के पहले महीने जनवरी में अभी तक कोटा से लगभग 7 छात्रों सुसाइड कर चुके हैं। आंकड़ों पर नजर डालें तो मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं, 2024 में कोटा में 13 सुसाइड केस सामने आये थे। तो 2023 में छात्रों की मौत का आंकड़ा 27 था। वहीं, जो कोटा पहले छात्रों से गुलजार रहता था, अब वो खाली है। यहां पर दो साल पहले आने वाले छात्रों की संख्या 2 लाख के करीब होती थी जो 2024 में 60 हजार के करीब पहुंच गई। इससे शहर की अर्थव्यस्था को भी तगड़ा झटका लगा है।