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राजस्थान की खाप पंचायत को लेकर हाईकोर्ट ने राजा राम मोहन का उदाहरण देकर कही खास बात, फिर एक्शन पर किया काम!

कानून सभी पक्षों को सुनकर फिर फैसला लेता है। लेकिन खाप पंचायतों में मनमानी की बात भी कही जाती है। जस्टिस फरजंद अली की सिंगल बेंच में याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अर्जुन सिंह ने समाज में व्याप्त कुप्रथाओं के वो मुद्दे उठाए, जिसमें खाप नेता सामाजिक बहिष्कार और जुर्माना लगाने जैसे फैसले सुनाते हैं।

राजस्थान की खाप पंचायत को लेकर हाईकोर्ट ने राजा राम मोहन का उदाहरण देकर कही खास बात, फिर एक्शन पर किया काम!

खाप पंचायत...राजस्थान की पुरानी परंपरा कही जाती है। प्रदेश के छोटे-छोटे गांव में खाप पंचायत एक अदालत के तौर पर होती हैं। जिसमें कुछ लोग सदस्य खुद कानून बनाते हैं, जिसका पालन करना पड़ता है। लेकिन ये लीगन नहीं होता है। कई बार इनके फैसले कानून की भी धज्जियां उड़ा देते हैं, तो अब राजस्थान हाईकोर्ट ने इसमें दखल देते हुए बड़ा एक्शन लिया है। क्या है पूरी बात, जानिए पोस्ट में...

हाईकोट ने खाप पंचायत पर क्या कहा

जैसा कि हमने आपको बताता कि राजस्थान में खाप पंचायत एक पुरानी परंपरा है। खाप पंचायत के कई फैसले कानून को ताक पर रख देते हैं। जिससे आम लोगों का पूरा जीवन तक बर्बाद हो जाता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हाल में खाप पंचायत के फैसले के कई मामले सामने आए हैं। जिसमें एक परिवार को पूरे गांव से बहिष्कार करने जैसे फैसले देखने को मिले हैं। इतना ही नहीं खाप उन परिवारों पर जुर्माना भी तय करती है। लेकिन खाप पंचायत के इन फैसलों के खिलाफ कई बार शिकायत भी दर्ज की गई है। लेकिन खाप पंचायत को जड़ से खत्म करने की कार्रवाई अब तक नहीं की गई है। इसी मामले में अब राजस्थान की हाईकोर्ट ने दखल देते हुए बड़ा फैसला लिया है। राजस्थान हाईकोर्ट ने खाप पंचायत और सामाजिक बुराइयों पर अंकुश लगाने के लिए एक पांच सदस्य आयुक्तों के आयोग का गठन किया है। इसमें चार वकील और एक सामाजिक कार्यकर्ता शामिल है जो ग्राउंड जीरो पर जाकर खाप पंचायत के बारे में पता लगाएगी।

खाप पंचायत की बुराइयों पर हुई बात

कानून सभी पक्षों को सुनकर फिर फैसला लेता है। लेकिन खाप पंचायतों में मनमानी की बात भी कही जाती है। जस्टिस फरजंद अली की सिंगल बेंच में याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अर्जुन सिंह ने समाज में व्याप्त कुप्रथाओं के वो मुद्दे उठाए, जिसमें खाप नेता सामाजिक बहिष्कार और जुर्माना लगाने जैसे फैसले सुनाते हैं। हाई कोर्ट ने भी इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कहा कि विशेष रूप से पश्चिमी राजस्थान में जोधपुर ग्रामीण, बाड़मेर, जैसलमेर, जालौर, नागौर और पाली शामिल हैं।

इन क्षेत्रों में खाप पंचायत सहित अन्य सामाजिक बुराईयां व्याप्त हैं। कोर्ट ने कहा कि भारत में सामाजिक सुधार की जड़े राजा राम मोहन राय के समय में देखी जा सकती हैं, जिन्होंने इसके विरोध के लिए बौद्धिक सुधार आंदोलन चलाया था। समय-समय पर सामाजिक बुराइयों को खत्म करने की दिशा में काम किया गया है। ऐसे में कोर्ट को लगता है कि विभिन्न ग्रामीण स्तर पर इनकी हकीकत जानने की आवश्यकता है, ताकि उन बीमारियों की गहराई तक जाया जा सके और उनको समाप्त करने के लिए प्रयास किया जा सकें।