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जयपुर में मकर संक्रांति की हो रही खास तैयारी, सज गया पतंगों का बाजार, जानिए कब से चली आ रही है परंपरा

राजस्थान अपनी कला, संस्कृति, विरासत और परंपराओँ के लिए जाना जाता है। परंपराओं के जितने रंग यहां देखने को मिलते हैं, आपको शायद ही किसी राज्य में देखने को मिलें। इन्हीं परंपराओं में से एक है मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने की परंपरा । जिसका विशेष महत्व जयपुर में देखने को मिलता है।

जयपुर में मकर संक्रांति की हो रही खास तैयारी, सज गया पतंगों का बाजार, जानिए कब से चली आ रही है परंपरा

जयपुर में मकर संक्रांति की रौनक देखते ही बनती है। यहां मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है । कहा जाता है कि यह परंपरा सवाई राम सिंह के समय से जारी है। महाराजा राम सिंह इस परंपरा को 1835 से 1880 इस्वीं में अवध से लेकर आए थे।

कैसे सार्वजनिक हुई ये परंपरा ?

महाराजा राम सिंह के समय में कपड़े की पतंग उड़ाई जाती थी, इस पतंग को तुक्कल कहते थे। यहीं से मकर संक्रांति पर यह परंपरा सार्वजनिक हो गई और हांडीपुरा पतंगों का बड़ा बाजार बन गया। लोगों का कहना है कि बीते 150 साल से यहां रंग बिरंगी पतंगे बनाई और बेची जाती हैं। मकर संक्रांति आते ही हांडीपुरा में पतंगों का बाजार सज जाता है। दुकानदारों का मानना है कि हांड़ीपुरा में सीजन के दौरान लाखों रुपये की पतंग बिक जाती है।

गुजरात और यूपी से भी आते हैं कारोबारी

पतंग बेचने वाले दुकानदारों ने बताया कि पतंगबाजी का व्यवसाय उत्तर प्रदेश, गुजरात और जयपुर में सबसे ज्यादा होता है। त्तर प्रदेश के बरेली से हर साल कारोबारी पतंग बेंचने आते हैं । जयपुर में सबसे ज्यादा मांग बरेली की पतंगों की रहती है। बरेली की पतंग की क्वालिटी काफी अच्छी होती है।

अलग-अलग डिजाइन और रंग-बिरंगी

दुकानदारों ने बताया कि बरेली की पतंग साधाराण रंगों वाली होती है और उसके बांस चिकने होते हैं। वहीं जयपुर की पतंग चमकीले रंगों वाली और तरह-तरह की डिजाइन वाली होती है। लोगों का मानना है कि बरेली की बनी हुई पतंगे काफी लंबे समय तक टिकती हैं, जबकि जयपुर में बनी पतंगे जल्दी फट जाती हैं ।

दुकानदारों का कहना है कि पतंगों का सीजन तो जनवरी में शुरू होकर मार्च तक चलता है, लेकिन इनको बनाने का काम अगस्त से ही शुरू हो जाता है जो कि दिसंबर तक चलता है । जनवरी में पतंगों को बेंचने का काम शुरू होता है, जोकि मार्च के अंत तक जारी रहता है। दूर-दूर से लोग हांडीपुरा में पतंग बेंचने और खरीदने आते हैं। हालांकि अब कुछ स्थानीय दुकानदारों ने ऑनलाइन पतंग बेंचना भी शुरू कर दिया है।