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Rajasthan Politics: जयपुर नगर निगम के विलय पर अशोक गहलोत का हमला, बोले– 'गुजरात मॉडल को भी पीछे छोड़ रही भाजपा सरकार'

Jaipur Municipal Corporation Merger: जयपुर नगर निगम के विलय पर पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने भाजपा सरकार को घेरा। गुजरात मॉडल का हवाला देते हुए कहा– राजस्थान की सरकार चल रही है विकास की उल्टी दिशा में।

Rajasthan Politics: जयपुर नगर निगम के विलय पर अशोक गहलोत का हमला, बोले– 'गुजरात मॉडल को भी पीछे छोड़ रही भाजपा सरकार'

राजस्थान की राजनीति इन दिनों गरमा गई है, और इसकी वजह बना है जयपुर नगर निगम का विलय। राज्य की भजनलाल शर्मा सरकार ने हाल ही में जयपुर नगर निगम ग्रेटर और हेरिटेज को मिलाकर एक 統ित जयपुर नगर निगम बनाने का फैसला लिया है। यह निर्णय आगामी निकाय चुनावों से पहले लिया गया है, लेकिन इस पर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने तीखी प्रतिक्रिया दी है।

गहलोत ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर सरकार की नीति पर सवाल खड़े करते हुए लिखा,
"जनवरी 2025 में गुजरात सरकार ने 9 नए नगर निगम बनाए ताकि शहरी विकास को गति मिल सके। भाजपा गुजरात मॉडल को आदर्श मानती है, लेकिन राजस्थान की भाजपा सरकार खुद उसी मॉडल को फेल मान रही है। यहां तो उल्टी दिशा में विकास हो रहा है।"

अशोक गहलोत का इशारा स्पष्ट है—जब देश के अन्य राज्यों में जनसंख्या और विकास के अनुसार नगरीय इकाइयों की संख्या बढ़ाई जा रही है, राजस्थान में उन्हें कम किया जा रहा है।

बता दें, जयपुर नगर निगम की स्थापना 1994 में जयपुर नगर परिषद से अलग होकर हुई थी। तब 70 वार्ड बनाए गए थे, जो 2004 में 77 और 2014 में 91 हो गए। फिर 2019 में कांग्रेस सरकार ने इनकी संख्या बढ़ाकर 250 कर दी थी। अब भाजपा सरकार इन 250 वार्डों को 150 में रिऑर्गेनाइज करने की योजना बना रही है।

सरकार का तर्क है कि 3-4 छोटे वार्डों को मिलाकर एक नया वार्ड बनाया जाएगा, जिससे हर वार्ड में जनसंख्या 20,000 से 30,000 तक पहुंच सकेगी। इसके अलावा, 78 गांवों को भी जयपुर नगर निगम की सीमा में शामिल किया जाएगा, जिससे शहरी और ग्रामीण विकास को साथ लेकर चला जा सके।

हालांकि, इस फैसले ने राजनीतिक बहस को जन्म दे दिया है। एक ओर भाजपा इसे प्रशासनिक सुदृढ़ीकरण बता रही है, वहीं कांग्रेस इसे जनविरोधी कदम करार दे रही है।