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PACL मामला क्या है, जिसकी जांच खाचरियावास के घर तक पहुंची

PACL चिटफंड घोटाले में ईडी ने कांग्रेस नेता प्रताप सिंह खाचरियावास के घर छापा मारा। खाचरियावास ने कार्रवाई को राजनीति से प्रेरित बताया। पढ़िए पूरी कहानी।

PACL मामला क्या है, जिसकी जांच खाचरियावास के घर तक पहुंची

राजस्थान की राजनीति एक बार फिर गर्माई है। इस बार चर्चा का केंद्र हैं कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास, जिनके जयपुर स्थित आवास पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने छापेमारी की है। ये कार्रवाई देश के सबसे बड़े चिटफंड घोटालों में से एक – PACL घोटाले – से जुड़ी बताई जा रही है, जिसकी रकम 48,000 करोड़ रुपये से भी ज्यादा बताई जाती है।

PACL, यानी Pearls Agrotech Corporation Limited, ने तकरीबन दो दशकों तक जमीन में निवेश के नाम पर करोड़ों लोगों से पैसे जुटाए। निवेशकों से यह वादा किया गया था कि उनका पैसा कृषि और रियल एस्टेट में लगेगा और उन्हें मोटा रिटर्न मिलेगा। लेकिन जब परतें खुलीं, तो हकीकत कुछ और निकली। न ज़मीन थी, न लाभ, बल्कि यह पूरा तंत्र एक पोंजी स्कीम जैसा निकला – नए निवेशकों के पैसों से पुराने निवेशकों को भुगतान कर विश्वास बनाए रखा गया।

ईडी अब PACL के धन के प्रवाह को ट्रैक कर रही है और इसी क्रम में 15 अप्रैल 2025 को प्रताप सिंह खाचरियावास के घर छापा मारा गया। बताया जा रहा है कि जांच का केंद्र उन पैसों की तलाश है, जो कथित तौर पर घोटाले की रकम से जुड़े हो सकते हैं। हालांकि इस बात की पुष्टि नहीं हुई है कि खाचरियावास सीधे तौर पर इस घोटाले में शामिल हैं या नहीं।

खुद खाचरियावास इस कार्रवाई को पूरी तरह राजनीति से प्रेरित बता रहे हैं। घर के बाहर मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा, “मैंने कभी गलत नहीं किया, इसलिए डरता भी नहीं हूं। जब आप सच बोलते हैं, तो सत्ता को चुभता है।” उन्होंने ये भी कहा कि वह जांच एजेंसियों से पूरा सहयोग करेंगे, लेकिन यह सवाल भी उठाया कि क्या बीजेपी को अब हर राजनीतिक विरोधी को ईडी के जरिए दबाने की आदत हो गई है?

इस कार्रवाई के बाद कांग्रेस में प्रतिक्रिया तेज हो गई है। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस छापेमारी की आलोचना करते हुए कहा कि यह भाजपा सरकार द्वारा अपने विरोधियों को डराने की कोशिश है। वहीं टीकाराम जूली जैसे नेताओं ने इसे ‘राजनीतिक बदला’ करार दिया।

यह साफ है कि PACL जैसा बड़ा घोटाला एक गंभीर मामला है, लेकिन सवाल यह भी है कि क्या जांच निष्पक्ष है या फिर यह राजनीति के रंग में रंगी जा रही है? आने वाले दिनों में सच्चाई जरूर सामने आएगी, लेकिन फिलहाल राजस्थान की राजनीति में गर्म हवाएं चल रही हैं।