सरस्वती नदी के अवशेष की गूंज, जैसलमेर में ट्यूबवेल खुदाई ने खोले नए रहस्य, धरती के नीचे छिपा भारत का प्राचीन इतिहास?
Rajasthan News: भूवैज्ञानिक और जल विशेषज्ञ इस घटना को लेकर हैरान हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि ये घटना इलाके में मौजूद भूजल के दबाव का परिणाम है। हालांकि, ये क्षेत्र विलुप्त सरस्वती नदी का हिस्सा होने के कारण ये कयास भी लगाए जा रहे हैं।

राजस्थान के जैसलमेर जिले के मोहनगढ़ क्षेत्र में एक ट्यूबवेल की खुदाई के दौरान हुए अप्रत्याशित घटनाक्रम ने सभी का ध्यान आकर्षित किया है। खुदाई के दौरान जमीन से पानी की तेज धारा निकलने लगी, जिससे वहां मौजूद मशीनरी और ट्रक भी धंस गए। घटना उस स्थान पर हुई है जिसे कभी सरस्वती नदी का क्षेत्र माना जाता है।
सरस्वती नदी का संकेत है?
भूवैज्ञानिक और जल विशेषज्ञ इस घटना को लेकर हैरान हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि ये घटना इलाके में मौजूद भूजल के दबाव का परिणाम है। हालांकि, ये क्षेत्र विलुप्त सरस्वती नदी का हिस्सा होने के कारण ये कयास भी लगाए जा रहे हैं कि ये पानी उसी भूगर्भीय संरचना से जुड़ा हो सकता है।
जैसलमेर में 850 फिट गहरे बोरवेल की खुदाई के दौरान धरती फटने की ऐतिहासिक घटना हुई है,मौके पर फूटी जलधारा से इतना पानी आ रहा है कि अगल बगल के गांव दहशत में है,दर्जनों खेत तालाब बन गए है,पूरी घटना जैसलमेर के मोहनगढ़ क्षेत्र की बताई जा रही है.!!#borewell #jaisalmer #rajasthan pic.twitter.com/GLRwOC9xgi
— Gaurav Kushwaha-Journalist (@Newscopgaurav) December 29, 2024
प्राकृतिक गैस का रिसाव: खतरे की घंटी
जमीन से पानी के साथ-साथ प्राकृतिक गैस का रिसाव भी हो रहा है, जिसमें हाईड्रोकार्बन के अंश होने की संभावना जताई जा रही है। गैस के रिसाव के चलते प्रशासन ने सुरक्षा के मद्देनजर 500 मीटर के क्षेत्र को प्रतिबंधित कर दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि गैस के दहनशील स्तर (LEL और HEL) पर ध्यान देना बेहद जरूरी है।
ग्रामीणों में दहशत
पानी की तेज धाराओं ने आसपास के कई कच्चे मकानों में पानी भर दिया है, जिससे ग्रामीणों को अपना सामान निकालकर सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए मजबूर होना पड़ा। घटना के कारण स्थानीय लोग भयभीत हैं, और प्रशासन ने एहतियातन आसपास के घरों को खाली करने के आदेश दिए हैं।
ONGC की टीम जांच में जुटी
ONGC और केयर्न एनर्जी की टीमें घटनास्थल पर पहुंच चुकी हैं और पानी व गैस के नमूने एकत्र कर रही हैं। आगे की जांच के लिए विशेषज्ञों और भारी मशीनरी को बुलाया गया है ताकि पानी और गैस के प्रवाह को नियंत्रित किया जा सके।
धरती का प्राचीन रहस्य
भूजल वैज्ञानिक नारायण दास का कहना है कि ये घटना क्षेत्र की अपारगम्य चट्टानों के टूटने का परिणाम है, जिसके नीचे दबा पानी दबाव के कारण तेज धाराओं में निकल रहा है। ये घटना हमें धरती की गहराइयों में छिपे अनसुलझे रहस्यों की ओर संकेत करती है।
भूगर्भीय अनियमितता है या सरस्वती नदी के अवशेष?
इस घटना ने वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं और प्रशासन को एक नई चुनौती दी है। ये देखना बाकी है कि इस पानी और गैस का स्रोत क्या है और ये घटना किस भूगर्भीय प्रक्रिया का परिणाम है। अगर ये सरस्वती नदी से जुड़ा हुआ पाया जाता है, तो ये भारत की भूगर्भीय और सांस्कृतिक धरोहर के लिए एक ऐतिहासिक खोज होगी।