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मीणा-गुर्जर वोट कही बीजेपी के हाथ से छिटक ना जाए? विजय बैंसला और किरोड़ीलाल मीणा बने बीजेपी का सिरदर्द!

राजस्थान के राजनीतिक हालातों के बारे में कुछ भी कहना मुश्किल ही होता है। यहां स्थितियां कब और कैसे पलट जाएं, इसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल ही होता है। कुछ ऐसे ही हालात इस वक्त हैं। दरअसल प्रदेश सरकार के मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा और विजय बैंसला सरकार से नाराज हो गए हैं।

मीणा-गुर्जर वोट कही बीजेपी के हाथ से छिटक ना जाए? विजय बैंसला और किरोड़ीलाल मीणा बने बीजेपी का सिरदर्द!

राजस्थान में इस वक्त सियासी माहौल बिल्कुल बदले-बदले हैं। दरअसल एक ओर तो सरकार अपने कार्यकाल का दूसरा बजट लाने की तैयारी कर रही है। वहीं दूसरी ओर दो नेताओं ने सरकार की चिंता बढ़ा रखी है या यूं कहें कि मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा और विजय बैंसला बीजेपी के लिए सिरदर्द बने हैं। ऐसे में कई सवाल सामने आ गए हैं-

पहला- क्या सरकार डैमेज कंट्रोल कर पाएगी ?

दूसरा- आखिर अब तक दोनों नेताओं को क्यों नहीं मनाया गया ?

तीसरा- अगर हालात और बिगड़ते हैं तो क्या मीणा-गुर्जर वोट बैंक बीजेपी के हाथ से निकल जाएगा।

दोनों नेताओं की ओर से दिए जा रहे बयान उनकी नाराजगी के साफ-साफ संकेत दे रहे हैं । एक ओर बजट पेश होना है तो दूसरी ओर दोनों नेताओं को साधना भी जरूरी है।

मंत्री पद त्यागने के संकेत दे चुके हैं किरोड़ी

मंत्री किरोड़ी लाल मीणा अपने ‘वैराग्य‘ को लेकर बयान देकर चर्चा में आ गए हैं। हाल ही में उन्होंने महाकुंभ और ममता कुलकर्णी का जिक्र करते हुए बयान दिया, जिससे उनके मंत्री पद त्यागने के संकेत के तौर पर देखा जा रहा है। किरोड़ी लाल मीणा का बयान सियासी गलियारों में हलचल बढ़ाने वाला है। पहले भी ‘किरोड़ी बाबा’ अपने भाई जगमोहन मीणा की हार, SI भर्ती परीक्षा और नरेश मीणा जैसे मुद्दों पर नाराजगी जाहिर कर चुके हैं। इसके अलावा उन्होंने इशारों ही इशारों में अपनी ही पार्टी के अंदर उपेक्षित होने का आरोप भी लगाया है।

विजय बैंसला भी हैं नाराज

बीजेपी नेता विजय बैंसला भी इस वक्त सरकार से नाराज हैं। दरअसल हाल ही में उन्होंने कहा था कि प्रदेश सरकार से गुर्जर समाज नाराज है। गुर्जर आंदोलन के वक्त दर्ज हुए मामले अभी वापस नहीं लिए गए। सरकार गुर्जरों के मुद्दे का हल नहीं निकाल रही। गुर्जर समाज को मिले आरक्षण को नौवीं अनुसूची में शामिल नहीं किया गया।

बता दें कि आरक्षण को नौवीं अनुसूची में शामिल करने का काम केंद्र से होना है। लेकिन अभी तक इसको लेकर कोई काम नहीं हुआ।

इसके अलावा पिछली सरकारों में गुर्जर समाज से तीन-चार मंत्री हुआ करते थे। लेकिन भजनलाल सरकार में केवल एक मंत्री जवाहर सिंह बेढ़म को ही जगह मिली, जो नाराजगी का एक बड़ा कारण है।

कहीं हाथ से फिसल न जाए मीणा और गुर्जर वोट बैंक

राजस्थान में मीणा समाज में डॉ. किरोड़ी लाल मीणा का पद काफी बड़ा है। ठीक इसी तरह विजय बैंसला भी गुर्जर समाज के बड़े नेता हैं। ऐसे में सबसे बड़ा फोकस इस बात को लेकर है कि अगर इन दोनों नेताओँ को बीजेपी नहीं मना पाती है तो कहीं न कहीं उसके साथ से मीणा और गुर्जर समुदाय के वोट बैंक भी खिसक सकते हैं।