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देहरादून के व्यापारी को डिजिटल अरेस्ट बनाकर करोड़ों की ठगी, चार महीने बाद कैसे हत्थे चढ़ा आरोपी

देहरादून के एक व्यवसाई को डिजिटल अरेस्ट कर करोड़ों की ठगी का मामला सामने आया है। जिसके बाद आरोपी को चार महीने बाद जयपुर से गिरफ्तार किया गया।

देहरादून के व्यापारी को डिजिटल अरेस्ट बनाकर करोड़ों की ठगी, चार महीने बाद कैसे हत्थे चढ़ा आरोपी

चार महीने की कड़ी तलाशी के बाद आखिरकार एसटीएफ और साइबर पुलिस ने 2 करोड़ रुपये से ज्यादा के धोखाधड़ी वाले लेनदेन से जुड़े 'डिजिटल हाउस अरेस्ट' मामले में मुख्य आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। बता दें कि साइबर धोखाधड़ी के एक सनसनीखेज मामले में देहरादून के एक व्यवसायी से राजस्थान के जयपुर के एक 19 साल लड़के ने घोटाला कर 2.47 करोड़ रुपये गंवा दिए। 

कैसे व्यापारी को बनाया शिकार ?

शिकायत के मुताबिक 9 सितंबर 2024 को निरंजनपुर निवासी पीड़ित व्यवसायी को मुंबई साइबर क्राइम पुलिस से होने का दावा करने वाले किसी युवक का फोन आया। पीड़ित को बताया गया कि उसके मोबाइल नंबर और आधार का दुरुपयोग करके अपराध हो रहे हैं। कॉल करने वाले ने जल्द ही फोन काट दिया और पीड़ित से केवल व्हाट्सएप के जरिए बात करने को कहा। जब पीड़ित ने वापस कॉल करने की कोशिश की, तो उसने देखा कि नंबर उसके कॉल लॉग से हटा दिया गया है। बाद में पीड़ित को एक वीडियो कॉल आया जिसमें एक युवक ने खुद को पुलिस अधिकारी होने का दावा करते हुए कहा कि उसका बैंक खाता आपराधिक लेन-देन से जुड़ा हुआ है। उसे यह भी चेतावनी दी गई कि अगर उसने किसी के सामने इस मामले का खुलासा किया तो उसे राष्ट्रीय सुरक्षा और गुप्त अधिनियम, मनी लॉन्ड्रिंग जैसे मामलों में जेल की सजा और भारी जुर्माने का सामना करना पड़ेगा। जिसके बाद डरे हुए पीड़ित ने स्कैमर्स के निर्देशों का पालन किया और अपने खाते से लेन-देन करता रहा। शिकायत में बताया गया है कि हर तीन घंटे में व्हाट्सएप पर पीड़ित की लोकेशन भेजकर वो बताते थे कि उसकी निगरानी की जा रही है और उसे कहीं और न जाने के लिए कहा जाता था।

सात दिन तक डिजिटल अरेस्ट में रखा

जालसाजों ने फर्जी कानूनी नोटिस भी भेजे और उनके सभी बैंक खातों की जानकारी मांगी ताकि उनके पैसे की जांच की जा सके और अवैध लेनदेन का पता लगाया जा सके। गिरोह ने पीड़ित को मुंबई साइबर क्राइम पुलिस अधिकारी बनकर वीडियो कॉल और व्हाट्सएप पर मैसेज के जरिए सात दिनों तक डिजिटल हाउस अरेस्ट में रखा और बाद में 11-17 सितंबर, 2024 तक खातों में पैसे जमा करवाए। स्कैमर्स ने उन्हें आश्वासन दिया कि सत्यापन के बाद उनके पैसे वापस कर दिए जाएंगे, लेकिन चेतावनी दी कि अगर कोई लेनदेन अवैध पाया गया तो उनके घर की नीलामी की जा सकती है। जब उन्होंने और पैसे की मांग जारी रखी, तो पीड़ित को एहसास हुआ कि उसके साथ धोखाधड़ी हुई है। लेकिन तब तक वह 2.47 करोड़ रुपये गंवा चुका था। 

राजस्थान से हुई गिरफ्तार 

अक्टूबर में पीड़ित ने एक साइबर शिकायत दर्ज कराई, जिसके आधार पर एसएसपी नवनीत भुल्लर के नेतृत्व में उत्तराखंड स्पेशल टास्क फोर्स ने जांच शुरू की। भुल्लर ने कहा, "तुरंत मामला दर्ज कर लिया गया। पुलिस टीम ने बैंक खाते के विवरण, फोन नंबर और सेवा प्रदाताओं, मेटा और गूगल से जानकारी की जांच की। आखिरकार मुख्य आरोपी की पहचान की गई और उसे राजस्थान से पकड़ा गया।" 

चार महीने तक चली जांच

करीब चार महीने की जांच के बाद मास्टरमाइंड नीरज भट्ट को जयपुर में गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने उसके पास से एक मोबाइल फोन और एयू स्मॉल फाइनेंस बैंक खाते से जुड़ा एसएमएस अलर्ट सिम कार्ड बरामद किया, जिसका इस्तेमाल घोटाले में किया गया था। आगे की जांच से पता चला कि 19 साल के आरोपी के जरिए धोखाधड़ी के लिए इस्तेमाल किए जा रहे उसी बैंक खाते के खिलाफ अरुणाचल प्रदेश और महाराष्ट्र में भी इसी तरह की शिकायतें दर्ज की गई हैं।