DAMU कर्मचारियों की दर्दभरी दास्तां: जब टमाटर-प्याज भी लगने लगे लग्ज़री, फिर भी किसानों के लिए करते रहे काम
DAMU India 2025: DAMU कर्मचारियों ने बिना वेतन किसानों के लिए किया काम, लेकिन खुद के घरों में टमाटर-प्याज खाना भी बंद करना पड़ा। जानिए ये कहानी कैसे बनी संघर्ष और उम्मीद का प्रतीक।

जनवरी 2024, वो महीना जब सरकार ने देशभर की 199 जिला कृषि मौसम विज्ञान इकाइयों (DAMU) को बंद करने का आदेश जारी किया। लेकिन जो चीज़ बंद नहीं हुई, वो थी इन संस्थाओं में काम कर रहे 130 से ज्यादा कर्मचारियों की इंसानियत, लगन और किसानों के प्रति समर्पण। वेतन बंद हो चुका था, लेकिन फिर भी इन लोगों ने काम करना नहीं छोड़ा, क्योंकि उन्हें पता था—उन पर हजारों किसानों की फसल और भविष्य निर्भर करता है।
राजस्थान के एक DAMU कर्मचारी ने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए बताया, “मेरी बेटी की स्कूल फीस नहीं भर पाया। हाथ जोड़कर प्रिंसिपल से माफ़ी मांगी और वादा किया कि जल्द चुका दूंगा। उस दिन घर लौटते वक्त मन पूरी तरह टूट चुका था।” उन्होंने कहा कि हालात इतने खराब हो गए कि परिवार ने सब्जियों का सेवन तक बंद कर दिया, क्योंकि प्याज-टमाटर जैसी चीजें आमदनी के बाहर हो चुकी थीं। “दाल-चावल खाकर दिन काटते थे। बच्चे जब पूछते कि पहले की तरह खाना क्यों नहीं मिलता, तो आंखें भर आती थीं।”
31 मार्च 2025 को जब अदालत के हस्तक्षेप से उनका वेतन मिला, तो ये किसी जंग के बाद मिली जीत जैसा था। लेकिन पिछले एक साल में उनकी ज़िंदगी ने जो मोड़ लिए, उसने बहुत कुछ बदल दिया। राजस्थान के ही एक अन्य कर्मचारी ने बताया, “मकान मालिक हर महीने किराया मांगता, मैं हर बार वही जवाब देता—'वेतन नहीं आया है'। अपने बच्चे को बाहर खाना खिलाने या खिलौना देने का मन करता है, लेकिन हाथ खाली होता है।”
DAMU कर्मचारी सिर्फ अपनी नहीं, पूरे देश के कृषि तंत्र की रीढ़ हैं। वे किसानों को मौसम के अनुसार सलाह देते हैं ताकि उनकी फसलें सुरक्षित रहें। लेकिन जब उन्हीं की ज़िंदगी मौसम की मार बन जाए, तो ये व्यवस्था पर सवाल है।