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पहले आर्यन तो अब चेतना ! राजस्थान में बढ़ते बोरवेल से जुड़े मामले, अभी तक इतने बच्चे गंवा चुके जान

राजस्थान के कोटपूतली में 700 फीट गहरे बोरवेल में फंसी तीन वर्षीय चेतना को बचाने के लिए NDRF की टीम जुटी हुई है। सात दिनों से जारी रेस्क्यू ऑपरेशन में क्या चेतना को बचाया पाएंगे?। लगातार सूबे में बोरवेल से जुड़े मामले सामने आ रहे हैं। 

पहले आर्यन तो अब चेतना ! राजस्थान में बढ़ते बोरवेल से जुड़े मामले, अभी तक इतने बच्चे गंवा चुके जान

खबर राजस्थान से है। जहां कोटपूतली शहर में 700 फीट गहरे बोरवेल में फंसी तीन वर्षीय चेतना को बचाने की मुहिम जारी है। मासूम सात दिन से जिंदगी-मौत की लड़ाई रही है। चेतना को बाहर निकालने के लिए NDRF जवान पूरी कोशिश कर रहे हैं। अभी तक कई फीट गहरा गड्ढा खोद जा चुका है। हालांकि पत्थरों के कारण काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। रेस्क्यू टीम पत्थरों को काटने के लिए ड्रिल मशीना का इस्तेमाल कर रही है। अधिकारियों की मानें अगर जरा से भी चूक हुई तो मिट्टी धंस सकती है। गौरतलब है, दिसबंर की शुरुआत में भी ऐसा मामला सामने आया था। जहां पांच वर्षीय मासूम की बोरवेल में गिरने से मौत हो गई थी। 

दौसा में भी हुआ था ऐसा हादसा

दिसबंर माह की 10 तारीख को दौसा से भी ऐसा ही मामला सामने आया था। जहां 5 साल का आर्यन 150 फीट गहरे बोरवले में गिर गया था। हादसा तब हुआ जब वह मां के साथ खेत जा रहा था। इस दौरान उसका पैर फिसल गया और वह बोरवेल में जा गिरा। दो दिन की कड़ी मशक्कत के बाद आर्यन को बाहर निकाला गया पर अफसोस उसे बचाया नहीं जा सका। 

एक महीने में दो हादसे

पहले आर्यन तो अब चेतना। हर कोई चेतना के सही-सलामत बाहर आने की दुआ कर रहा है। आंकड़ों पर नजर डालें तो बीते सात सालों में 60 से ज्यादा बोरबेल से जुड़े हादसे सामने आ चुके हैं। जहां सिर्फ दो बच्चों का रेस्क्यू किया गया। ये आंकड़े 2018-2024 के बीच के हैं। ऐसे में अब हर कोई दुआ कर रहा है कि चेतना को बजाया चा सके। एक हफ्ते से ज्यादा का समय बीत चुका है लेकिन वह अभी भी जिंदगी की लड़ाई लड़ रही है। 

बोरवेल हादसों पर सरकार सख्त 

बता दें, राजस्थान में लगातार बोरवेल हादसों में बढ़ोत्तरी देखी जा रही है। जिसे देखते हुए सरकार भी अलर्ट मोड पर आ गई है। विभागों को बिना परमीशन बोरवेल खोदने वालों पर FIR दर्ज करने का आदेश दिया गया है। यानी अब खेत या घर पर बोरवेल खोदने के लिए जलदाय विभाग के साथ जिला कलेक्टर की अनुमति लेना जरूरी होगा। अगर कोई ऐसा नहीं करता है उसपर पर जुर्माने के साथ उचित कार्रवाई भी जायेगी।