जेल में बीते 11 साल, अब रिहाई की आस में आसाराम...राष्ट्रपति से मांगी रहमत
Rajasthan News: आसाराम की अंतरिम जमानत 31 मार्च को खत्म हो रही है। इस बीच उनके अनुयायी सुखराम एम. टांक ने राष्ट्रपति से रिहाई की अपील की है। याचिका में बढ़ती उम्र और खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए उन्हें स्थायी राहत देने की मांग की गई है। राष्ट्रपति कार्यालय ने यह याचिका राजस्थान सरकार के मुख्य सचिव को भेजकर आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। वहीं, 25 मार्च को गुजरात हाईकोर्ट में उनकी जमानत बढ़ाने को लेकर सुनवाई होनी है।

कभी आध्यात्मिक गुरु कहे जाने वाले आसाराम इन दिनों कानून की चौखट पर एक नई गुज़ारिश के साथ खड़े हैं। यौन शोषण के मामले में सजा काट रहे आसाराम की अंतरिम जमानत 31 मार्च को खत्म हो रही है। इस बीच उनके एक अनुयायी ने राष्ट्रपति से उनकी उम्र और खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए स्थायी रिहाई की मांग की है। यह याचिका सिर्फ न्यायिक प्रक्रिया का हिस्सा नहीं, बल्कि उस भावना को भी सामने लाती है जो किसी श्रद्धालु के भीतर अपने गुरु के प्रति होती है, चाहे वह दोषी ही क्यों न हो।
राष्ट्रपति कार्यालय ने सरकार को भेजा पत्र
सूरत निवासी अनुयायी सुखराम एम. टांक ने पिछले माह राष्ट्रपति को याचिका भेजी थी। इसमें उन्होंने कहा कि 83 वर्षीय आसाराम पिछले 11 सालों से जेल में हैं और अब उनका स्वास्थ्य गंभीर रूप से प्रभावित है। ऐसे में उन्हें मानवीय आधार पर राहत दी जाए और राज्य सरकार एक ‘श्वेत पत्र’ जारी कर उनके मामले की स्थिति स्पष्ट करे।
राष्ट्रपति कार्यालय ने इस याचिका को राजस्थान सरकार के मुख्य सचिव को भेजते हुए जरूरी कार्रवाई करने और याचिकाकर्ता को फैसले से अवगत कराने के निर्देश दिए हैं।
हाईकोर्ट की सुनवाई से पहले खिंच गई एक और उम्मीद की डोर
इसी मामले से जुड़ी एक अन्य सुनवाई 25 मार्च को गुजरात हाईकोर्ट में होगी, जहां आसाराम की अंतरिम जमानत बढ़ाने की मांग पर विचार किया जाएगा। राजस्थान हाईकोर्ट पहले ही यह स्पष्ट कर चुका है कि अंतरिम राहत तभी बढ़ाई जाएगी, जब गुजरात हाईकोर्ट से हरी झंडी मिलेगी।
कभी लाखों लोगों के आध्यात्मिक मार्गदर्शक रहे आसाराम की जिंदगी अब अदालतों के फैसलों पर टिकी है। रिहाई की इस अपील के पीछे की भावना चाहे जो हो, लेकिन न्याय व्यवस्था का हर फैसला सिर्फ भावनाओं से नहीं, तथ्यों और कानून के तराजू पर ही तौला जाएगा।