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"अरविंद सिंह मेवाड़ का जाना एक युग का अंत है", बोले केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत

Arvind Singh Mewar: केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने शनिवार को उदयपुर के पूर्व महाराजा अरविंद सिंह मेवाड़ को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उन्हें एक युग का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि मेवाड़ ने राजस्थान के पर्यटन क्षेत्र को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया और एक ऐसी व्यवस्था स्थापित की, जिससे समाज में कर्तव्यों का बोध हुआ। उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा। संस्कृति, कला और सामाजिक चेतना के क्षेत्र में उनका समर्पण हमेशा प्रेरणा बना रहेगा।

"अरविंद सिंह मेवाड़ का जाना एक युग का अंत है", बोले केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत

राजस्थान की धरोहर और गौरव को विश्व स्तर पर पहचान दिलाने वाले अरविंद सिंह मेवाड़ अब इस दुनिया में नहीं रहे। उनके निधन ने न केवल एक राजघराने को शोक में डुबोया है, बल्कि पूरे राजस्थान को भावनात्मक रूप से झकझोर दिया है। शनिवार को केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि “अरविंद सिंह मेवाड़ का निधन एक पूरे युग के समाप्त होने जैसा है।”

गजेंद्र सिंह शेखावत ने भावुक होते हुए कहा, “वे न केवल एक भूतपूर्व शाही व्यक्तित्व थे, बल्कि एक भविष्यद्रष्टा भी थे, जिन्होंने राजस्थान के पर्यटन क्षेत्र को नई दिशा दी। जिस समर्पण और गरिमा से उन्होंने मेवाड़ की संस्कृति, विरासत और समाज को संभाला, वह अनुकरणीय है।”

पर्यटन में नई सोच का आगाज़
अरविंद सिंह मेवाड़ का योगदान केवल भव्य महलों और धरोहरों के संरक्षण तक सीमित नहीं रहा। उन्होंने एक ऐसी व्यवस्था खड़ी की जिसमें परंपरा, आधुनिकता और सामाजिक उत्तरदायित्व का संगम दिखाई देता है। उन्होंने अपनी दृष्टि से राजस्थान को सिर्फ पर्यटकों का आकर्षण नहीं, बल्कि सांस्कृतिक पुनर्जागरण का केंद्र बना दिया।

सम्मान की संस्कृति को किया पुनर्परिभाषित
शेखावत ने कहा, “वह समाज की विभूतियों का गहरा सम्मान करते थे। उनके भीतर राजसी गरिमा के साथ-साथ एक संवेदनशील नागरिक का हृदय भी था। उन्होंने समाज को यह अहसास दिलाया कि विरासत सिर्फ सहेजने की नहीं, उसे जीने की भी चीज है।”

एक स्मृति, जो अमिट रहेगी
अरविंद सिंह मेवाड़ की सोच, उनकी विनम्रता और उनकी योजनाएं आने वाले समय में भी राजस्थान के पर्यटन और संस्कृति को राह दिखाती रहेंगी। उनके द्वारा स्थापित संस्थान, संग्रहालय और सांस्कृतिक मंच अब उनकी स्मृति को जीवित रखेंगे।