क्या है धर्मांतरण विरोधी विधेयक जो आज राजस्थान विधानसभा में हुआ है पेश ? आसान शब्दों में समझिए बिल की बारीकियां
राजस्थान विधानसभा में 3 फरवरी 2025 को धर्मांतरण विरोधी विधेयक पेश किया गया। इस विधेयक का उद्देश्य जबरन धर्म परिवर्तन और प्रलोभन देने वाली गतिविधियों पर रोक लगाना है।

आज राजस्थान विधानसभा में धर्मांतरण विरोधी विधेयक पेश किया गया है। जिसे "धर्मांतरण (नियमितीकरण) विधेयक, 2025" के नाम से जाना जा रहा है। इस विधेयक का उद्देश्य जबरन या प्रलोभन देकर धर्मांतरण को रोकना है। इसके तहत अगर कोई व्यक्ति दूसरों को धोखे या दबाव में धर्म परिवर्तन करने के लिए प्रेरित करता है, तो उसे कानूनी सजा का सामना करना पड़ेगा। विधेयक में यह भी प्रावधान है कि किसी व्यक्ति के धर्म परिवर्तन के लिए पहले जिला कलेक्टर से अनुमति लेनी होगी। इसके बिना धर्म परिवर्तन को अवैध माना जाएगा। इसके अलावा धर्म परिवर्तन से संबंधित किसी भी घटना को 30 दिनों के भीतर संबंधित अधिकारी को सूचित करना होगा।
विधेयक का उद्देश्य
विधेयक का उद्देश्य धर्मांतरण के मामलों को नियंत्रित करना और अवैध गतिविधियों को रोकना है, लेकिन इसके आलोचक इस पर यह आरोप लगाते हैं कि यह धार्मिक स्वतंत्रता को प्रभावित कर सकता है।
विधेयक का प्रावधान
इस विधेयक के मुख्य प्रावधानों में शामिल हैं:
- धर्म परिवर्तन के लिए अनुमति: कोई भी व्यक्ति धर्म परिवर्तन करने से पहले जिला कलेक्टर से अनुमति प्राप्त करेगा। बिना अनुमति के धर्म परिवर्तन को अवैध माना जाएगा।
- धोखाधड़ी और प्रलोभन से धर्म परिवर्तन पर सजा: यदि किसी व्यक्ति को धोखे, प्रलोभन या दबाव के तहत धर्म परिवर्तन करने के लिए प्रेरित किया जाता है, तो यह अपराध होगा और दोषी व्यक्ति को कड़ी सजा का सामना करना पड़ेगा।
- धर्म परिवर्तन की सूचना देना: यदि किसी व्यक्ति का धर्म परिवर्तन होता है, तो उसे संबंधित अधिकारी को 30 दिनों के भीतर सूचित करना अनिवार्य होगा।
विधेयक को लेकर सरकार का कहना है कि यह समाज में धार्मिक शांति बनाए रखने और धर्म परिवर्तन के मामलों में पारदर्शिता लाने के लिए जरूरी है। हालांकि, विपक्ष और कुछ धार्मिक संगठनों ने इस विधेयक पर आपत्ति जताई है, यह आरोप लगाते हुए कि यह धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला है और लोगों को अपनी आस्था बदलने से रोकने का प्रयास है।