Trendingट्रेंडिंग
विज़ुअल स्टोरी

Trending Visual Stories और देखें
विज़ुअल स्टोरी

Rajasthan की सियासत में तूफान, किरोड़ी के बाद बैंसला की नाराजगी ने बढ़ाई सरकार और विपक्ष की मुश्किलें

Rajasthan Politics : राजस्थान सरकार के कद्दावर मंत्री किरोड़ी लाल मीणा एक बार फिर अपने बयान के कारण सुर्खियों में हैं। अपने 'वैराग्य' का जिक्र करते हुए उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफे की ओर इशारा किया है। 

Rajasthan की सियासत में तूफान, किरोड़ी के बाद बैंसला की नाराजगी ने बढ़ाई सरकार और विपक्ष की मुश्किलें

Rajasthan Politics : राजस्थान की राजनीति में बजट सत्र से पहले जो सियासी पारा चढ़ा हुआ था, अब उसमें नया मोड़ आ गया है। एक ओर सरकार और विपक्ष इस सत्र में अपनी-अपनी रणनीति को धार दे रहे हैं, वहीं दूसरी ओर मीणा और गुर्जर समाज के दो बड़े नेताओं ने अपनी ही पार्टियों और सरकारों पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं। मंत्री किरोड़ी लाल मीणा और बीजेपी नेता विजय बैंसला के बयानों ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है।

किरोड़ी का 'वैराग्य' और इस्तीफे की धमकी

राजस्थान सरकार के कद्दावर मंत्री किरोड़ी लाल मीणा एक बार फिर अपने बयान के कारण सुर्खियों में हैं। अपने 'वैराग्य' का जिक्र करते हुए उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफे की ओर इशारा किया है। भजनलाल सरकार का उदाहरण देते हुए किरोड़ी ने अपने इस बयान में महाकुंभ और ममता कुलकर्णी का भी उल्लेख किया, जिससे राजनीतिक गलियारों में हलचल और बढ़ गई।

ये पहली बार नहीं है जब किरोड़ी ने इस तरह की नाराजगी जताई हो। एसआई भर्ती परीक्षा से लेकर नरेश मीणा और अपने भाई जगमोहन मीणा की हार तक, किरोड़ी हमेशा से अपने इशारों में सरकार के प्रति असंतोष जताते रहे हैं। हालांकि, इस बार उनके 'वैराग्य' वाले बयान ने सरकार के लिए नई मुश्किलें खड़ी कर दी हैं।

विजय बैंसला का बीजेपी पर हमला

दूसरी ओर, बीजेपी नेता विजय बैंसला ने अपनी ही पार्टी की सरकार पर तीखा प्रहार किया है। बैंसला का कहना है कि डबल इंजन सरकार होते हुए भी गुर्जर समाज की समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं। आंदोलन के दौरान दर्ज हुए मुकदमे वापस नहीं लिए गए हैं, और गुर्जर आरक्षण को नौवीं अनुसूची में शामिल न करना समाज की नाराजगी की सबसे बड़ी वजह बन गई है।

बैंसला ने गुर्जर समाज को राजनीतिक प्रतिनिधित्व देने में भी सरकार को नाकाम बताया। उन्होंने कहा कि पहले की सरकारों में गुर्जर समाज से तीन-चार मंत्रियों को जगह मिलती थी, लेकिन इस बार कैबिनेट में एक भी गुर्जर मंत्री नहीं है। साथ ही देव नारायण बोर्ड पर सरकार के रवैये को लेकर भी बैंसला ने नाराजगी जताई।

मीणा बनाम गुर्जर

राजस्थान की राजनीति में किरोड़ी लाल मीणा और विजय बैंसला दोनों अपने-अपने समाज के सबसे प्रभावशाली नेता माने जाते हैं। मीणा समाज में जहां किरोड़ी का दबदबा है, वहीं गुर्जर समाज में बैंसला की मजबूत पकड़ है। इन दोनों नेताओं की नाराजगी ने राज्य की राजनीति को नई दिशा दे दी है।

किरोड़ी का इस्तीफा और बैंसला की नाराजगी, दोनों ही मामले सरकार और विपक्ष के लिए सिरदर्द बन गए हैं। एक ओर, सरकार को किरोड़ी को साधने की चुनौती है, तो दूसरी ओर बीजेपी को बैंसला की नाराजगी से निपटना होगा।

राजनीति की शतरंज में नई चालें

किरोड़ी और बैंसला की बयानबाजी ने ये तो साफ कर दिया है कि राजस्थान की राजनीति में आने वाले दिनों में नई शतरंज बिछने वाली है। जहां एक तरफ ये नेता अपने-अपने समाज को साधने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ सरकार और विपक्ष दोनों के लिए ये संकट बड़ा सियासी नुकसान साबित हो सकता है।

राजस्थान की राजनीति में समाजों की भूमिका कितनी अहम है, ये हर चुनाव से पहले साफ हो जाता है। ऐसे में किरोड़ी और बैंसला की नाराजगी का असर सिर्फ बयानबाजी तक सीमित नहीं रहेगा। ये देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में सरकार और विपक्ष इन मुद्दों को कैसे संभालते हैं।