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स्टैंड अप कॉमेडी और सस्ती लोकप्रियता: विवादों की जड़! कई कॉमेडियन झेल चुके हैं विवाद

स्टैंड अप कॉमेडी का उद्देश्य हमेशा लोगों को हंसाना और उनके बीच सामंजस्य स्थापित करना होना चाहिए। हालांकि, कुछ कॉमेडियन इस कला का दुरुपयोग कर सस्ती लोकप्रियता प्राप्त करने की कोशिश करते हैं, जो समाज को नुकसान पहुंचाता है।

स्टैंड अप कॉमेडी और सस्ती लोकप्रियता: विवादों की जड़! कई कॉमेडियन झेल चुके हैं विवाद

आजकल स्टैंड अप कॉमेडी भारतीय मनोरंजन उद्योग का एक प्रमुख हिस्सा बन चुकी है। विशेषकर सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर इसकी लोकप्रियता तेजी से बढ़ी है। जहां एक तरफ यह एक कला के रूप में उभर रहा है, वहीं दूसरी तरफ कुछ कॉमेडियन इसकी आड़ में सस्ती लोकप्रियता का शिकार हो रहे हैं। कई बार कॉमेडी में ऐसा भी देखने को मिलता है जब हास्य के नाम पर समाजिक मुद्दों या व्यक्तिगत हमलों का मजाक उड़ाया जाता है, जो विवादों को जन्म देता है।

सस्ती लोकप्रियता का बढ़ता चलन

स्टैंड अप कॉमेडी को लोगों ने एक मनोरंजन के रूप में अपनाया है, लेकिन इसके बढ़ते प्रभाव के कारण कुछ कॉमेडियन इस प्लेटफॉर्म का गलत इस्तेमाल करने लगे हैं। इस प्रक्रिया में वह केवल खुद को चर्चित करने के लिए सोशल मीडिया और ऑनलाइन मंचों का सहारा लेते हैं। कई कॉमेडियन समाजिक मुद्दों, धार्मिक विश्वासों या व्यक्तियों का मजाक उड़ाकर, सस्ती लोकप्रियता हासिल करने की कोशिश करते हैं। इस प्रकार के हास्य में अक्सर दूसरों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने की प्रवृत्ति पाई जाती है।

विवादों में घिर चुके कॉमेडियन

इस बढ़ती हुई ट्रेंड के अंतर्गत कई कॉमेडियन विवादों में भी घिरे हैं। इनमें से कुछ प्रमुख नामों में अनुभव सिंह बस्सी, मुनव्वर फारूकी, हर्ष गुजराल और कई अन्य शामिल हैं। बसी की स्टैंड अप कॉमेडी में कई बार विवादित टिप्पणियां की गईं, जिनमें समाज के विभिन्न वर्गों और धार्मिक पहचान का मजाक उड़ाया गया। वहीं हर्ष गुजराल को भी अपनी कुछ शैलियों और मजाक के कारण आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। इन विवादों से यह साफ है कि कॉमेडी के नाम पर गलत तरीके से लोकप्रियता हासिल करना अब एक आम बात बन चुकी है।

समाज में प्रभाव

स्टैंड अप कॉमेडी का समाज पर गहरा प्रभाव पड़ता है। यह मंच जहां एक तरफ लोगों को हंसी और राहत प्रदान करता है, वहीं दूसरी तरफ जब यह अपमानजनक या नफरत फैलाने वाले संदेश देता है, तो इससे समाज में नकारात्मक असर भी पड़ता है। किसी भी प्रकार का मजाक यदि किसी की धार्मिक या सांस्कृतिक पहचान से जुड़ा हो, तो वह हानिकारक साबित हो सकता है। इस प्रकार के कॉमेडियन केवल हंसी उड़ाने के बजाय समाज की नफरत को भी बढ़ावा देते हैं।

यह जरूरी है कि हम ऐसे कॉमेडियन और उनकी स्टाइल को पहचानें जो समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के बजाय, उसे नुकसान पहुंचा रहे हैं। लोगों को इस प्रकार के कॉमेडी के प्रति सजग रहने की आवश्यकता है ताकि यह कला सही दिशा में आगे बढ़ सके और विवादों से बची रहे।