Rajasthan की गलियों से Hollywood तक का सफरनामा, 'मकबूल' से 'लाइफ ऑफ पाई' तक, Irfan Khan का फिल्मी सफर
इरफान (Irfan Khan) का करियर टेलीविजन से शुरू हुआ। चाणक्य, भारत एक खोज, बनेगी अपनी बात, और चंद्रकांता जैसे धारावाहिकों में उनके काम ने उन्हें एक मजबूत पहचान दी।

इरफान खान – ये नाम सुनते ही एक ऐसा चेहरा हमारी आंखों के सामने उभरता है, जो न केवल अपनी गहरी आंखों और शानदार अभिनय से दर्शकों के दिलों में छा गया, बल्कि अपनी साधारण शुरुआत से लेकर असाधारण उपलब्धियों तक का सफर तय करते हुए लाखों को प्रेरणा भी दी।
राजस्थान से बॉलीवुड और हॉलीवुड तक का सफर
जयपुर के एक साधारण मुस्लिम परिवार में 7 जनवरी 1966 को जन्मे साहबजादे इरफान अली खान का बचपन संघर्षों से भरा था। लोअर मिडिल क्लास परिवार में बड़े होने के बावजूद उनके सपने बड़े थे। क्रिकेट के प्रति उनका जुनून उन्हें सीके नायडू टूर्नामेंट तक ले गया, लेकिन आर्थिक तंगी ने उनका रास्ता रोक दिया। इसके बाद उन्होंने अभिनय को अपना जीवन बनाने की ठानी।
दिल्ली आकर नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (एनएसडी) में प्रवेश लेना उनके लिए एक चुनौती थी। किस्मत ने उनके संघर्षों को और बढ़ा दिया जब इसी दौरान उनके पिता का निधन हो गया। लेकिन इरफान ने हार नहीं मानी। इसी कठिन समय में एक दिल्ली की लड़की, सुतपा सिकदर, ने उनके जीवन में आशा की किरण लाई। सुतपा न केवल उनकी साथी बनीं, बल्कि हर मुश्किल वक्त में उनके साथ डटी रहीं।
छोटे पर्दे से बड़े पर्दे तक का सफर
इरफान का करियर टेलीविजन से शुरू हुआ। चाणक्य, भारत एक खोज, बनेगी अपनी बात, और चंद्रकांता जैसे धारावाहिकों में उनके काम ने उन्हें एक मजबूत पहचान दी। हालांकि, ये उनका अंतिम लक्ष्य नहीं था। अपने दमदार अभिनय और अनूठी शैली से उन्होंने फिल्मकार गोविंद निहलानी का ध्यान आकर्षित किया।
उनकी पहली प्रमुख फिल्म "सालाम बॉम्बे!" थी, जिसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। इरफान का करियर धीरे-धीरे ऊंचाई छूता गया। उन्होंने बॉलीवुड में "मकबूल," "पान सिंह तोमर," "लाइफ इन अ मेट्रो," और "लंचबॉक्स" जैसी बेहतरीन फिल्में दीं। वहीं, हॉलीवुड में "स्लमडॉग मिलियनेयर," "लाइफ ऑफ पाई," और "जुरासिक वर्ल्ड" जैसी फिल्मों में उन्होंने भारतीय सिनेमा का नाम रौशन किया।
संघर्ष से सफलता तक की प्रेरणा
इरफान का जीवन हमें ये सिखाता है कि संघर्ष चाहे कितना भी बड़ा हो, अगर जुनून और मेहनत है, तो कुछ भी असंभव नहीं। जयपुर की गलियों से निकलकर हॉलीवुड तक अपनी छाप छोड़ने वाले इरफान ने ये साबित कर दिया कि एक कलाकार की पहचान उसके काम से होती है। उनकी कहानी केवल एक अभिनेता की सफलता की नहीं, बल्कि जीवन के हर संघर्ष से लड़ने और जीतने की प्रेरणा है। "असली मायने इस बात में नहीं हैं कि आप कितनी बार गिरते हैं, बल्कि मायने इस बात के हैं कि आप कितनी बार उठते हैं।" आज इरफान हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके द्वारा निभाए गए किरदार और उनका संघर्षमय जीवन हमेशा हमारे दिलों में जिंदा रहेगा।