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IIT Baba Abhay Singh: बाबा अभय सिंह ने क्यों छोड़ दी थी कनाडा की नौकरी, ऐसा क्या हुआ कि सब छोड़कर बने साधु

महाकुंभ की शुरूआत हो चुकी है। तमाम साधु-संत इसमें हिस्सा लेने के लिए पहुंच रहे हैं। इन तमाम साधु-संतों में कई नाम तो ऐसे हैं जो इस समय सुर्खियों में बने हुए हैं, इनमें से एक नाम है आईआईटीयन बाबा अभय सिंह का जिनके बारे में हर कोई जानना चाह रहा है। आइए जानते हैं उनसे जुड़ी कुछ जानकारियां-

IIT Baba Abhay Singh: बाबा अभय सिंह ने क्यों छोड़ दी थी कनाडा की नौकरी, ऐसा क्या हुआ कि सब छोड़कर बने साधु

अभय सिंह वो नाम जिन्हें अब 'आईआईटीयन बाबा' के नाम से जाना जाता है। अभय IIT बॉम्बे से स्नातक हैं। उन्होंने IIT बॉम्बे (2008-2012 बैच) से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में बीटेक की पढ़ाई की है। अभय का जन्म और पालन-पोषण हरियाणा में हुआ हैएक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि ज्ञान की खोज ने उन्हें अध्ययन करने और इसकी विशिष्टता का पता लगाने के लिए प्रेरित किया था। उन्होंने आगे कहा, "मुझे ज्ञान की खोज करनी थीफिर सवाल यह था कि मन कैसे काम करता है और बेवजह के विचारों से कैसे छुटकारा पाया जाए।"

अभय ने बताया कि उन्होंने मास्टर इन डिज़ाइन (MDes) की पढ़ाई की और फ़ोटोग्राफ़र के तौर पर काम किया। जीवन के अर्थ पर सवाल उठाने के बाद उनके जीवन ने आध्यात्मिक मोड़ लिया। उन्होंने बताया कि सत्य को खोजने के लिए उन्होंने सुकरात, प्लटो जैसी अवधारणाओं को पढ़ना शुरू किया। यह वास्तविक ज्ञान है। उन्होंने कहा कि अगर आप मानसिक स्वास्थ्य या मन को समझना चाहते हैं, तो आध्यात्मिकता ही इसका रास्ता है

अभय सिंह की आईआईटी जेईई रैंक

रिपोर्ट्स का दावा है कि उन्होंने साल 2008 में AIR 731 हासिल की थी। IIT बॉम्बे को लगभग सभी JEE टॉपर्स पसंद करते है। 2024 में भी यह संस्थान इंजीनियरों के लिए पहले विकल्प के रूप में उभरा है। IIT बॉम्बे में शीर्ष 100 JEE (एडवांस्ड) रैंकर्स में से 72 ने इसे चुना। IIT मद्रास के साझा डेटा से पता चलता है कि टॉप 500 में से 179 ने IIT बॉम्बे को चुनाउसके बाद 109 ने IIT दिल्ली को चुना और 2024 में 69 ने IIT मद्रास को चुना।

 कनाडा में कर चुके हैं नौकरी

हाल ही में मीडिया से बातचीत में आईआईटीयन बाबा ने बताया कि व तीन साल तक कनाडा में रहे। वहां उन्हें 36 लाख रुपये सालाना का पैकेज मिला था। बाद में उन्होंने आध्यात्मिकता की ओर कदम बढ़ाने के लिए अपना करियर छोड़ने का फैसला किया।