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महाकुंभ 2025: "मैं सन्यास नहीं..." हर्षा ने लाइमलाइट छोड़ क्यों चुनी अध्यात्म की राह ? अब खुद कर दिया खुलासा

प्रयागराज कुंभ मेला 2025 में एक खूबसूरत साध्वी ने सबका ध्यान खींचा। जानिए मॉडल और एंकर हर्षा रिछाशिया के सन्यास लेने की पूरी कहानी, क्यों छोड़ा ग्लैमरस दुनिया और अध्यात्म की राह चुनी?

महाकुंभ 2025: "मैं सन्यास नहीं..."  हर्षा  ने लाइमलाइट छोड़ क्यों चुनी अध्यात्म की राह ?  अब खुद कर दिया खुलासा

उत्तर प्रदेश स्थित प्रयागराज दुनियाभर में चर्चा का विषय बना हुआ है। महाकुंभ 2025 का आगाज हो चुका है। अभी तक ढेड़ करोड़ से ज्यादा लोगों ने त्रिवेणी संगम में आस्था की डुबकी लगाई है। देश ही नहीं विदेशों से भी श्रद्धालु गंगा स्नान के लिए पहुंच रहे हैं। इस दौरान प्रयागराज पहुंची एक साध्वी ने सभी का ध्यान खींचा । हर कोई उनकी खूबसूरती देखता रह गया। इतना ही नहीं सोशल मीडिया पर लोगों ने उन्हें सबसे खूबसूरत साध्वी का टैग भी दे दिया। 

रातों-रात वायरल हुईं साध्वी

साध्वी का नाम हर्षा रिछाशिया है। इस समय उनके कई वीडियो और फोटो सोशल मीडिया पर इस वक्त वायरल है। प्रयागराज में उनके अवतार और सोशल मीडिया पर हर्षा की जिंदगी देखकर किसी को विश्वास नहीं हुआ की वह अब साध्वी बन चुकी है। इतना ही नहीं, हर्षा को जमकर ट्रोल भी किया गया। अब इस पर हर्षा ने चुप्पी तोड़ी है और खुलासा किया कि, कैसे वह भौतिक संसार और लाइमलाइट छोड़कर अध्यात्म की दुनिया में आगे बढ़ीं। उन्होंने कहा, लोग मुझे साध्वी कह रहे हैं जो पूरी तरह से गलत है। मैंने भौतिक संसार का त्याग नहीं किया है। मैं पूरी तरह से अध्यात्म में समर्पित नहीं हूं। इसलिए जो लोग साध्वी कहकर मुझे बुला रहे हैं, कृपया वह ऐसा बिल्कुल न करें। 

सन्यास लेने पर कही बड़ी बात

सोशल मीडिया पर लोग हर्षा के सन्यास लेने पर भी सवाल खड़ा कर रहे हैं। इसपर उन्होंने जवाब दिया, जब मन में श्रद्धा आती है तो आप बस अध्यात्म का रूख करते हैं। मैं सन्यास दो साल पहले लेना चाहती थी लेकिन काम के कारण ऐसा नहीं पा रहा था। हालांकि अब मुझे मौका मिला है, इसलिए मैंने सन्यास लेने की ठानी है। बता दें, हर्षा पेशे से एंकर और मॉडल हैं। जब उनकी ग्लैमरस दुनिया छोड़ने पर सवाल किया गया तो हर्षा ने कहा, हम यहां पर वही करने आये हैं जो किस्मत में लिखा है। हमें कब क्या करना है ये पहले से तय होता है। मैंने विदेशों में काम किया है। एंकरिंग-एक्टिंग सब की है लेकिन पिछले ढेड़ साल से इन सब चीजों के मोहभंग हो गया और अब मैं अध्यात्म के रास्ते चल पड़ी हूं। मैंने पुरानी जिंदगी से निकलने का फैसला किया है। मुझे अध्यात्म और साधना में सुकून प्राप्त होता है।