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MahaKumbh 2025: ईसाई परिवार में जन्म, बौद्ध तरीके से शादी, अब पहना भगवा चोला और रुद्राक्ष, जानिए Laurene Job के बारे में

लॉरेन पॉवल महाकुंभ पहुंचने से पहले शनिवार को वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर गईं थी। जहां पर उन्हें अपने गुरु के साथ पूजा करते हुए देखा गया था। महाकुंभ में लॉरेन जॉब्स के आगमन पर पुजारी ने कहा कि उन्हें मंदिर के बाहर से शिवलिंग के दर्शन कराए गए क्योंकि किसी अन्य हिंदू को भगवान शिव के पवित्र प्रतीक को छूने की अनुमति नहीं है। 

MahaKumbh 2025: ईसाई परिवार में जन्म, बौद्ध तरीके से शादी, अब पहना भगवा चोला और रुद्राक्ष, जानिए Laurene Job के बारे में

महाकुंभ के पावन मेले का शुभारंभ हो चुका है। करोड़ों भक्त प्रयागराज में पहुंचे हैं। इन्हीं भक्तों में ईसाई धर्म में जन्मी, बौद्ध धर्म से शादी करने वाली और दुनिया की सबसे अमीर महिलाओं में से एक स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल भी शामिल हुई हैं। जोकि सनातन धर्म में काफी रुचि दिखा रही हैं। आपको बता दें, जानकारी के मुताबिक, लॉरेन पॉवेल प्रयागराज में कल्पवास करेंगी और साधुओं की संगत में सादगीपूर्ण जीवन बिताएंगी।

प्रयागराज में कल्पवास करने पहुंची लॉरेन पॉवेल

पॉपुलर आईफोन बनाने वाली अमेरिकी कंपनी एप्पल के को-फाउंडर रहे स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवल जॉब्स महाकुंभ में शामिल होने प्रयागराज पहुंचीं हैं। जहां पर वो स्वामी कैलाशानंद महाराज के पास पहुंची हैं। प्रयागराज में वो कल्पवास करेंगी और साधुओं की संगत में सादगीपूर्ण जीवन बिताएंगी। बीते शनिवार को लॉरेन पॉवेल प्रयागराज में अपने गुरु स्वामी कैलाशानंद गिरि, निरंजिनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर के आश्रम पहुंचीं थी। बताया जा रहा है कि 15 जनवरी तक लॉरेन पॉवेल शिविर में रहेंगी और उसके बाद अमेरिका वापस लौटकर अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेंगी।

काशी शिवलिंग स्पर्श न करने को लेकर हुई थी चर्चा

लॉरेन पॉवल महाकुंभ पहुंचने से पहले शनिवार को वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर गईं थी। जहां पर उन्हें अपने गुरु के साथ पूजा करते हुए देखा गया था। महाकुंभ में लॉरेन जॉब्स के आगमन पर पुजारी ने कहा कि उन्हें मंदिर के बाहर से शिवलिंग के दर्शन कराए गए क्योंकि किसी अन्य हिंदू को भगवान शिव के पवित्र प्रतीक को छूने की अनुमति नहीं है। भारतीय परिधान में लॉरेन ने काशी विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह के बाहर से पूजा-अर्चना की।

लॉरेन पॉवेल को मिला हिंदू नाम और गोत्र

निरंजिनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद ने बताया कि लॉरेन पॉवेल को अपने गुरु का गोत्र मिलने के बाद नया नाम दिया गया। उन्होंने आगे कहा कि लॉरेन की सनातन धर्म में गहरी रुचि हैं और वो उन्हें पिता की तरह मानती हैं। उन्होंने कहा, मैं भी उन्हें अपनी बेटी की तरह मानता हूं। लॉरेन पॉवेल को अच्युत-गोत्र दिया गया है। हमने उसका नाम कमला रखा है और वो हमारे लिए बेटी जैसी हैं। यह दूसरी बार है जब वह भारत आ रही हैं। कुंभ में सभी का स्वागत है। साथ ही उन्होंने बताया कि लॉरेन महाकुंभ के दौरान संन्यासी की तरह रहेंगी। वो शाही स्नान (14 जनवरी) और मौनी अमावस्या (29 जनवरी) के दौरान शाही स्नान करेंगी।

जन्म ईसाई परिवार में, शादी बौद्ध तरीके से

लॉरेन पॉवेल के पति स्टीव जॉब्स भी भारत में धार्मिक यात्रा कर चुके थे। स्टीव जॉब्स का निधन 2011 में हुआ। उनका अंतिम संस्कार बौद्ध तौर-तरीकों से हुआ था। फिलहाल लॉरेन किस धर्म को मानती हैं ये कहना कठिन है, लेकिन ये तय है कि स्टीव जॉब्स के साथ शादी के बाद से उनका झुकाव बौद्ध और हिंदू धर्म की ओर हो गया था। हालांकि, लॉरेन पॉवेल का जन्म और पालन-पोषण एक ईसाई परिवार में हुआ, उनके पिता एक पायलट थे। साल 1991 में शादी के बाद वह कमोवेश आध्यात्मिकता की ओर झुकीं।

सनातन संस्कृति की तरफ बढ़ रही दिलचस्पी

जानकारी के मुताबिक, लॉरेन पॉवेल लंबे समय से निरंजनी अखाड़े के संपर्क में रही है। महाकुंभ के विशेष अवसर पर उन्होंने अपने धार्मिक रुझानों के कारण ही भारत आने का कार्यक्रम बनाया। उनके पति स्टीव जॉब्स भारतीय दर्शन से बहुत प्रभावित थे, वो कैंचीधाम में बाबा नीमकरौली आए थे।