महाकुंभ से पावन हो रहे लोग, 144 बार आया अद्भुत महापर्व, जानें कैसे निर्धारित होता है महाकुंभ
महाकुंभ हर 144 वर्षों में केवल एक बार आयोजित होता है, इस बार प्रयागराज में आयोजित हो रहा है। गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम स्थल पर यह मेला धार्मिकता और खगोलीय परंपरा का अद्भुत संगम है।

महाकुंभ की शुरूआत हो चुकी है और इसकी धूम देश में ही नहीं विदेश में भी देखने को मिल रही है। विदेशी साधु-संत भी इस महापर्व में शामिल होने के लिए आ रहे हैं, इसमें कई तरह की खास व्यव्सथाएं भी की गई है। इस महाकुंभ में शाही स्नान की भी शुरूआत हो चुकी है, और अब तक कई करोड़ो लोग त्रिवेणी में स्नान कर पावन हो चुके हैं।
धार्मिके के साथ खगोलीय दृष्टि से महत्वपूर्ण महाकुंभ
इस कुंभ मेले को सनातन धर्म का सबसे बड़ा और सबसे पवित्र धार्मिक आयोजन माना जाता है, जो हर 12 साल में एक बार होता है। लेकिन यह सिर्फ धार्मिक आयोजन ही नहीं है, बल्कि खगोलीय घटनाओं से जुड़ी एक चिर पुरातन परंपरा भी है, जिसमें ग्रहों की स्थिति का भी विशेष महत्व होता है और इसके आधार पर ही महाकुंभ का आयोजन किया जाता है। प्रयागराज में 13 जनवरी से शुरू हुआ और 26 फरवरी तक चलने वाला इस बार का महाकुंभ 144 वर्ष बाद आया है।
कैसे निर्धारित होता है महाकुंभ
बता दें कि सूर्य, चंद्रमा और बृहस्पति ग्रहों की स्थिति के आधार पर कुंभ का आयोजन किया जाता है और इसी आधार पर ही इसके स्थान भी निर्धारित किया जाता है। पूरे देश के लिए महत्वपूर्ण कुंभ मेले का आयोजन चार स्थानों- प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में किया जाता है। इस आयोजन की भी चार श्रेणियों हैं- कुंभ, अर्धकुंभ, पूर्ण कुंभ और महाकुंभ।
कुंभ: 12 साल में एक बार चारों जगहों हरिद्वार, नासिक, उज्जैन और प्रयागराज में एक-एक बार आयोजित होता है।
अर्धकुंभ: इसका आयोजन सिर्फ प्रयागराज और हरिद्वार में ही होता है। इन दोनों जगहों में हर 6 साल में एक बार अर्धकुंभ का आयोजित किया जाता है।
पूर्ण कुंभ: इसका आयोजन सिर्फ प्रयागराज में हर 12 साल में एक बार होता है।
महाकुंभ: इस दुर्लभ महाकुंभ का आयोजन 12 पूर्ण कुंभ के बाद यानी 144 साल बाद आता है, इसीलिए ही इसको महाकुंभ भी कहते हैं। यह सिर्फ प्रयागराज में ही आयोजित होता है, जहां पर गंगा, यमुना और सरस्वती (पौराणिक) नदियों का संगम होता है।