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महाकुंभ में जन्मे 12 बच्चे, कहीं ‘गंगा- जमुना’ ने लिया जन्म तो किसी के घर आए भोलेनाथ

प्रयागराज महाकुंभ बहुत खास है क्योंकि ये हिंदू धर्म का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है। लेकिन एक और ऐसी वजह है जो इसे खास बनाती है। दरअसल इस बार 12 बच्चों ने यहां जन्म लिया है।

महाकुंभ में जन्मे 12 बच्चे, कहीं ‘गंगा- जमुना’ ने लिया जन्म तो किसी के घर आए भोलेनाथ

प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ मेला 13 जनवरी से 26 फरवरी 2025 तक चल रहा है, जिसमें देश-विदेश से श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाने पहुंच रहे हैं। इस पावन अवसर पर महाकुंभ क्षेत्र में स्थित सेंट्रल हॉस्पिटल में अब तक 12 बच्चों का जन्म हुआ है, जिनके नाम उनके माता-पिता ने विशेष रूप से रखे हैं।

बच्चों के नाम और उनके अर्थ:

  • कुंभ: 29 दिसंबर 2024 को कौशांबी की सोनम ने एक बेटे को जन्म दिया, जिसका नाम 'कुंभ' रखा गया। यह नाम महाकुंभ मेला से जुड़ा हुआ है, जो इस समय चल रहा है।
  • गंगा: 30 दिसंबर 2024 को बांदा की शिवकुमारी ने एक बेटी को जन्म दिया, जिसका नाम 'गंगा' रखा गया। गंगा भारत की पवित्र नदी का नाम है, जो शुद्धता और दिव्यता का प्रतीक मानी जाती है।
  • बसंत: बसंत पंचमी के दिन एक महिला ने बेटे को जन्म दिया, जिसका नाम 'बसंत' रखा गया। बसंत ऋतु को उल्लास और नवजीवन का प्रतीक माना जाता है।
  • बसंती: बसंत पंचमी के दिन ही एक अन्य महिला ने बेटी को जन्म दिया, जिसका नाम 'बसंती' रखा गया। यह नाम भी बसंत ऋतु से जुड़ा हुआ है, जो रंग-बिरंगे फूलों और खुशियों का समय होता है।
  • कुंभ-2: नेहा सिंह ने एक बेटे को जन्म दिया, जिसका नाम 'कुंभ-2' रखा गया। हालांकि, पहले से एक बच्चा 'कुंभ' नाम से जन्म चुका था, इसलिए इस बच्चे का नाम 'कुंभ-2' रखा गया।
  • सरस्वती: मध्य प्रदेश के ग्वालियर से आई एक महिला ने बेटी को जन्म दिया, जिसका नाम 'सरस्वती' रखा गया। सरस्वती ज्ञान और विद्या की देवी हैं, जिनका नाम पवित्रता और ज्ञान का प्रतीक है।
  • नंदी: एक अन्य बच्चे का नाम 'नंदी' रखा गया, जो भगवान शिव के वाहन के रूप में प्रसिद्ध हैं। यह नाम शक्ति और भक्ति का प्रतीक है।
  • भोलेनाथ: कुछ बच्चों का नाम 'भोलेनाथ' रखा गया, जो भगवान शिव के एक नाम हैं, जो सरलता और भक्ति के प्रतीक माने जाते हैं।
  • बजरंगी: कुछ बच्चों का नाम 'बजरंगी' रखा गया, जो भगवान हनुमान के एक नाम हैं, जो शक्ति और भक्ति के प्रतीक माने जाते हैं।

अस्पताल की जानकारी:

सेंट्रल हॉस्पिटल महाकुंभ क्षेत्र में स्थित एक 100-बेड का अत्याधुनिक अस्पताल है, जहां अब तक 12 बच्चों का जन्म हुआ है। यहां सभी प्रसव सामान्य तरीके से कराए गए हैं, और जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ हैं।

महाकुंभ मेला एक धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है, जो हर 12 वर्ष में आयोजित होता है। इस दौरान लाखों श्रद्धालु संगम में स्नान करने आते हैं, जिससे यह मेला विश्वभर में प्रसिद्ध है।

महाकुंभ में जन्मे इन बच्चों के नाम उनके माता-पिता की आस्था और विश्वास को दर्शाते हैं, जो इस पवित्र अवसर पर अपने बच्चों का नामकरण करते हैं। यह नाम उनके जीवन में विशेष महत्व रखते हैं और उनके लिए आशीर्वाद का प्रतीक माने जाते हैं।

महाकुंभ में जन्मे इन बच्चों के नाम उनके माता-पिता की आस्था और विश्वास को दर्शाते हैं, जो इस पवित्र अवसर पर अपने बच्चों का नामकरण करते हैं। यह नाम उनके जीवन में विशेष महत्व रखते हैं और उनके लिए आशीर्वाद का प्रतीक माने जाते हैं।

महाकुंभ मेला न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपराओं का भी जीवंत उदाहरण प्रस्तुत करता है। इस मेले में जन्मे ये बच्चे इस सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा बनते हैं, जो उनके जीवनभर उनके साथ रहेगा।

महाकुंभ में जन्मे इन बच्चों के नाम उनके माता-पिता की आस्था और विश्वास को दर्शाते हैं, जो इस पवित्र अवसर पर अपने बच्चों का नामकरण करते हैं। यह नाम उनके जीवन में विशेष महत्व रखते हैं और उनके लिए आशीर्वाद का प्रतीक माने जाते हैं।

महाकुंभ मेला न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपराओं का भी जीवंत उदाहरण प्रस्तुत करता है। इस मेले में जन्मे ये बच्चे इस सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा बनते हैं, जो उनके जीवनभर उनके साथ रहेगा।

महाकुंभ में जन्मे इन बच्चों के नाम उनके माता-पिता की आस्था और विश्वास को दर्शाते हैं, जो इस पवित्र अवसर पर अपने बच्चों का नामकरण करते हैं। यह नाम उनके जीवन में विशेष महत्व रखते हैं और उनके लिए आशीर्वाद का प्रतीक माने जाते हैं।

महाकुंभ मेला न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपराओं का भी जीवंत उदाहरण प्रस्तुत करता है।