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क्या है Mahadev Betting App? जल्दी पैसा कमाने की चाह ने बर्बाद की हजारों जिंदगी, करोड़ों के घोटाले का मास्टरमाइंड कौन?

महादेव बेटिंग ऐप की शुरुआत छत्तीसगढ़ के सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल ने की। ये ऐप सट्टेबाजी के लिए लाइव गेम्स, क्रिकेट, फुटबॉल, बैडमिंटन, और यहां तक कि चुनावों में भी दांव लगाने का मंच बन गया।

क्या है Mahadev Betting App? जल्दी पैसा कमाने की चाह ने बर्बाद की हजारों जिंदगी, करोड़ों के घोटाले का मास्टरमाइंड कौन?

महादेव बेटिंग ऐप के नाम ने देश में सनसनी फैला दी है। ये सिर्फ एक ऑनलाइन सट्टेबाजी का प्लेटफॉर्म नहीं, बल्कि अपराध की ऐसी दुनिया है, जिसने हजारों करोड़ का घोटाला कर लोगों को ठगा। इसके पीछे की कहानी जितनी चौंकाने वाली है, उतनी ही दिल दहला देने वाली भी।

दुबई से ऑपरेट होने वाला ऑनलाइन घोटाला

महादेव बेटिंग ऐप की शुरुआत छत्तीसगढ़ के सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल ने की। ये ऐप सट्टेबाजी के लिए लाइव गेम्स, क्रिकेट, फुटबॉल, बैडमिंटन, और यहां तक कि चुनावों में भी दांव लगाने का मंच बन गया। दुबई से संचालित ये ऐप भारत में हजारों करोड़ के अवैध सट्टेबाजी नेटवर्क का हिस्सा था।

चमक-धमक का झांसा और जाल में फंसे लोग

इस ऐप की वेबसाइट और सोशल मीडिया विज्ञापनों के जरिए लोगों को "जल्दी अमीर बनने" का प्रलोभन दिया गया। अलग-अलग चैट ऐप्स और ग्रुप्स के माध्यम से ग्राहकों को जोड़ा गया। ये इतना बड़ा नेटवर्क था कि इसमें छोटे-छोटे शहरों के युवाओं से लेकर बड़े-बड़े व्यापारियों तक को शामिल किया गया।

घोटाले की परतें खुलीं

महादेव बेटिंग ऐप पर पहली बार कार्रवाई तब हुई जब एसटीएफ ने इसके खिलाफ छानबीन शुरू की। देवरिया के संजीव सिंह और उसके भांजे समेत 26 लोगों को आरोपी बनाया गया। दुबई में बैठे मास्टरमाइंड को भी एफआईआर में नामजद किया गया। जांच में दो टेलीकॉम कंपनियों की भूमिका भी सामने आई, जो इस घोटाले में मददगार साबित हुईं।

क्या है Mahadev Betting App?

महादेव बेटिंग ऐप एक ऑनलाइन सट्टेबाजी प्लेटफॉर्म है, जहां लोग क्रिकेट, फुटबॉल, बैडमिंटन जैसे खेलों और यहां तक कि चुनावों पर भी दांव लगाते थे। इसे छत्तीसगढ़ के सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल ने शुरू किया था और ये दुबई से संचालित होता था। ये ऐप लोगों को जल्दी पैसा कमाने का लालच देकर फंसाता था और बड़े पैमाने पर अवैध सट्टेबाजी को बढ़ावा देता था। ऐप के जरिए हजारों करोड़ रुपये का लेन-देन किया गया, जिसमें फर्जी बैंक खातों और डिजिटल वॉलेट्स का इस्तेमाल हुआ। अब इसे भारत में प्रतिबंधित कर दिया गया है, और इसके प्रमोटर्स व अन्य जुड़े लोगों पर कानूनी कार्रवाई चल रही है।

कैसे चलता था घोटाला?

  • फर्जी खातों के जरिए लेन-देन: ऐप के प्रमोटर्स ने हजारों फर्जी बैंक खाते और वॉलेट बनाए।
  • अवैध प्रचार: सोशल मीडिया और वेबसाइट्स के जरिए सट्टेबाजी को प्रमोट किया गया।
  • धोखाधड़ी के नेटवर्क: लोकल एजेंट्स के जरिए छोटे शहरों और गांवों तक अपना जाल फैलाया।
  • काले धन को सफेद बनाने का खेल: घोटाले से कमाए गए पैसे को दुबई और अन्य देशों में संपत्तियों में लगाया गया।

करोड़ों का खेल और बर्बाद जिंदगी

ये सिर्फ पैसे का मामला नहीं था। इस घोटाले ने न जाने कितने घर उजाड़ दिए। कई लोगों ने अपनी जमापूंजी इस ऐप में गंवा दी। कर्ज में डूबे लोग आत्महत्या तक करने पर मजबूर हुए।

सरकार और जांच एजेंसियां सतर्क

भारत सरकार ने इस ऐप को बैन कर दिया है। एसटीएफ और अन्य एजेंसियां लगातार कार्रवाई कर रही हैं। लेकिन इस घोटाले ने ये सवाल खड़ा कर दिया है कि ऑनलाइन सट्टेबाजी के जाल को रोकने के लिए कितनी सख्त निगरानी की जरूरत है।

एक सबक और चेतावनी

महादेव बेटिंग ऐप घोटाला हमें ये सिखाता है कि लालच और शॉर्टकट से कभी कुछ हासिल नहीं होता। अपराध की दुनिया जितनी आकर्षक दिखती है, उतनी ही खतरनाक होती है। ये कहानी हर उस इंसान के लिए एक चेतावनी है जो आसान पैसा कमाने के चक्कर में अपने जीवन को खतरे में डालता है।