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मुड़ासेल में प्रेम-प्रसंग बना हिंसा का कारण, न्याय की मांग ने लिया कानून हाथ में लेने का रूप? कानून-व्यवस्था पर उठे सवाल

Crime News: 14 फरवरी को मनीष वागजी नामक युवक का शव उसके घर में फांसी के फंदे से लटका मिला। परिवार ने इसे आत्महत्या मानने से इनकार कर दिया और लड़की के परिवार पर हत्या का आरोप लगाया। पुलिस जांच अभी जारी थी, लेकिन चार दिन बाद ही हिंसा भड़क उठी।

मुड़ासेल में प्रेम-प्रसंग बना हिंसा का कारण, न्याय की मांग ने लिया कानून हाथ में लेने का रूप? कानून-व्यवस्था पर उठे सवाल

राजस्थान के बांसवाड़ा जिले के घाटोल उपखंड के मुड़ासेल गांव में एक प्रेम-प्रसंग ने सांप्रदायिक तनाव और हिंसा का रूप ले लिया। युवक की संदिग्ध मौत के बाद उपजे आक्रोश ने आगजनी, लूटपाट और दहशत का माहौल खड़ा कर दिया। सवाल ये उठता है कि क्या ये घटना सिर्फ न्याय की मांग तक सीमित थी, या फिर इसमें सामाजिक और जातीय टकराव का एंगल भी जुड़ गया?

युवक की मौत आत्महत्या या हत्या?

14 फरवरी को मनीष वागजी नामक युवक का शव उसके घर में फांसी के फंदे से लटका मिला। परिवार ने इसे आत्महत्या मानने से इनकार कर दिया और लड़की के परिवार पर हत्या का आरोप लगाया। पुलिस जांच अभी जारी थी, लेकिन चार दिन बाद ही हिंसा भड़क उठी।

गुस्से का नतीजा

18 फरवरी को मनीष के परिवार और समर्थकों ने लड़की के घर पर हमला कर दिया। 30-40 लोगों की भीड़ ने न सिर्फ तोड़फोड़ और आगजनी की, बल्कि लूटपाट भी की गई। ये घटना दिखाती है कि महज प्रतिशोध से ज्यादा, इसमें किसी सोची-समझी साजिश की संभावना भी हो सकती है।

क्या प्रशासन ने देरी की?

घटना के चार दिन बाद ही हमला होना दिखाता है कि पुलिस तनाव को भांपने में असफल रही। अगर समय रहते सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाते, तो ये हिंसा रोकी जा सकती थी।

मुड़ासेल की ये घटना एक बड़ी सीख देती है कि भावनाओं में बहकर कानून को हाथ में लेना न सिर्फ अपराध है, बल्कि ये और अधिक अन्याय को जन्म देता है। अब देखना ये होगा कि प्रशासन इस तनाव को कैसे शांत करता है और क्या वाकई दोषियों को सजा मिलती है या फिर ये मामला भी बाकी घटनाओं की तरह समय के साथ भुला दिया जाएगा।