फिर एक छात्र को निगल गया 'कोटा'...नहीं थम रहे सुसाइड के मामले, नीट की तैयारी कर रहे छात्र ने लगाई फांसी
Kota Suicide Case: अभिजीत गिरी की आत्महत्या ने एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि कोटा में छात्रों की सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य के लिए कितने प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं. बढ़ते मामलों से कोटा का शिक्षण माहौल सवालों के घेरे में है. बेहतर प्रबंधन और सुरक्षा उपायों के जरिए ऐसी दुखद घटनाओं को रोका जा सकता है.

Abhijeet Giri Suicide Case: राजस्थान के कोटा में एक बार फिर छात्र आत्महत्या का मामला सामने आया है. उड़ीसा के रहने वाले 18 वर्षीय अभिजीत गिरी ने विज्ञान नगर थाना क्षेत्र की अंबेडकर कॉलोनी में स्थित जैन विला रेजिडेंसी हॉस्टल में फांसी लगाकर अपनी जान दे दी. मृतक पिछले नौ महीनों से कोटा में एक निजी कोचिंग संस्थान से नीट की तैयारी कर रहा था.
क्या है पूरा मामला?
पुलिस के अनुसार, अभिजीत ने फांसी लगाकर आत्महत्या की. सूचना मिलने पर विज्ञान नगर थाना पुलिस मौके पर पहुंची और शव को एमबीएस अस्पताल की मोर्चरी में रखवाया. छात्र के परिवार को घटना की सूचना दे दी गई है. परिवार के आने के बाद पोस्टमार्टम कर शव उन्हें सौंप दिया जाएगा.
आत्महत्या के कारण
फिलहाल, आत्महत्या के पीछे की वजह स्पष्ट नहीं हो सकी है. पुलिस मामले की जांच कर रही है. हॉस्टल वार्डन के मुताबिक, अभिजीत नियमित रूप से कोचिंग जाता था और कोई असामान्य व्यवहार नहीं दिखा रहा था.
पंखे में नहीं लगा था हैंगिंग डिवाइस
जांच में यह बात सामने आई है कि जिस पंखे से अभिजीत ने फांसी लगाई, उसमें प्रशासन के निर्देशानुसार हैंगिंग डिवाइस नहीं लगा था. यह डिवाइस आत्महत्या की घटनाओं को रोकने के लिए जरूरी है, क्योंकि यह पंखे पर वजन बढ़ने पर उसे अलग कर देता है. यदि डिवाइस लगा होता, तो अभिजीत की जान बचाई जा सकती थी.
कोटा में बढ़ते सुसाइड के मामले
यह घटना कोटा में आत्महत्या के बढ़ते मामलों में एक और दुखद जोड़ है. इससे पहले 8 जनवरी को विज्ञान नगर थाना क्षेत्र में ही अभिषेक नामक 20 वर्षीय छात्र ने फांसी लगाकर आत्महत्या की थी. अभिषेक एमपी के गुना जिले का रहने वाला था और जेईई एडवांस की तैयारी कर रहा था. उस हॉस्टल के पंखे में भी हैंगिंग डिवाइस नहीं लगा था.
सवालों के घेरे में सुरक्षा उपाय
कोटा में छात्रों की आत्महत्या रोकने के लिए प्रशासन ने पंखों में हैंगिंग डिवाइस लगाने का निर्देश दिया था. लेकिन बार-बार सामने आ रहे मामलों से स्पष्ट है कि इन नियमों का पालन सख्ती से नहीं किया जा रहा है.
कोटा में आत्महत्या की बढ़ती समस्या
कोटा, जो देश का प्रमुख कोचिंग हब माना जाता है, छात्रों की आत्महत्या के मामलों से जूझ रहा है. यहां पढ़ाई का दबाव, अकेलापन, और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं बड़ी वजहें मानी जाती हैं. प्रशासन और कोचिंग संस्थानों पर छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देने की जिम्मेदारी बढ़ रही है.
क्या कदम उठाने होंगे?
यह घटना कोटा के शिक्षा तंत्र और सुरक्षा उपायों पर सवाल खड़े करती है. आत्महत्या की घटनाओं को रोकने के लिए सिर्फ तकनीकी उपाय ही नहीं, बल्कि छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी काम करने की जरूरत है. प्रशासन को इन मामलों में गंभीरता से जांच कर, ठोस कदम उठाने होंगे ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं रोकी जा सकें.