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हुलिया बदला, नाम बदला, शहर बदला… पर बच नहीं सका 57 साल बाद भी, 15 की उम्र में 35 रुपये के लिए कत्ल, बुढ़ापे में गिरफ्तार

Rajasthan News : राजस्थान के कोटा जिले के सुकेत में 1967 में जो हुआ, वो किसी को भी सन्न कर देने वाला था। प्रभु लाल नाम का एक 15 साल का लड़का, जिसे शायद खुद भी नहीं पता था कि उसकी गुस्से में की गई एक हरकत उसे जिंदगीभर के लिए भगोड़ा बना देगी।

हुलिया बदला, नाम बदला, शहर बदला… पर बच नहीं सका 57 साल बाद भी, 15 की उम्र में 35 रुपये के लिए कत्ल, बुढ़ापे में गिरफ्तार

Rajasthan News : एक हत्या, महज 35 रुपये की वजह से… एक किशोर, जो भागकर 57 साल तक कानून से आंख मिचौली खेलता रहा… लेकिन आखिरकार कानून ने अपना काम कर दिखाया। राजस्थान पुलिस ने उस हत्यारे को खोज निकाला, जिसे कोई ढूंढने की उम्मीद भी छोड़ चुका था। जिस अपराधी को शायद खुद भी यकीन हो गया था कि वो अब कानून की पकड़ से बच निकला है, उसके दरवाजे पर जब पुलिस पहुंची, तो वो हक्का-बक्का रह गया।

1967: जब 35 रुपये की कीमत एक जान से चुकानी पड़ी

राजस्थान के कोटा जिले के सुकेत में 1967 में जो हुआ, वो किसी को भी सन्न कर देने वाला था। प्रभु लाल नाम का एक 15 साल का लड़का, जिसे शायद खुद भी नहीं पता था कि उसकी गुस्से में की गई एक हरकत उसे जिंदगीभर के लिए भगोड़ा बना देगी। उसने भवाना दर्जी को 35 रुपये में अपनी साइकिल बेची, लेकिन कुछ दिनों बाद वही साइकिल वापस मांगने पहुंचा। भवाना दर्जी ने 35 रुपये लौटाने में असमर्थता जताई, और बस! इतना ही काफ़ी था कि दो बोलों की लड़ाई एक मौत की सजा में बदल जाए।

गुस्से से तमतमाए प्रभु लाल ने सड़क से एक बड़ा पत्थर उठाया और भवाना दर्जी पर ताबड़तोड़ हमला कर दिया। एक के बाद एक वार… और कुछ ही पलों में भवाना दर्जी की सांसें हमेशा के लिए थम गईं। खून से लथपथ सड़क गवाह बन गई उस बेरहमी की, जिसने महज 35 रुपये में एक जान की कीमत तय कर दी थी।

फरार की 57 साल लंबी कहानी

हत्या के बाद प्रभु लाल जान बचाकर भागा, और फिर कभी अपने गांव नहीं लौटा। पहले वो राजस्थान से बाहर गया, फिर दिल्ली के मंगोलपुरी में नया ठिकाना बना लिया। वहां उसने खुद को एक नई पहचान दी, हुलिया बदला, नाम बदल लिया, और वन क्लास कॉन्ट्रैक्टर बन गया। अब वो कोई मामूली अपराधी नहीं, बल्कि बड़ी-बड़ी इमारतें बनाने वाला ठेकेदार था, जिसके पास ऐशो-आराम की कोई कमी नहीं थी। इन 57 सालों में न उसने कभी अपने गांव की खबर ली, न किसी रिश्तेदार से कोई संपर्क रखा। उसके लिए अतीत जैसे मिट चुका था। वो सोचता था कि अब कोई उसे नहीं ढूंढेगा, लेकिन वो ये भूल चुका था कि कानून भले ही धीमा चले, लेकिन उसका पहिया घूमता जरूर है।

57 साल बाद दबोचा गया हत्यारा

राजस्थान पुलिस ने पुराने फरार आरोपियों की तलाश का एक विशेष अभियान शुरू किया। इसी दौरान मुखबिर से सूचना मिली कि दिल्ली के मंगोलपुरी में रह रहा एक ठेकेदार दरअसल 1967 में हुई हत्या का फरार अपराधी है। सूचना मिलते ही पुलिस टीम दिल्ली पहुंची और प्रभु लाल को धर दबोचा। जिस वक्त पुलिस ने उसे पकड़ा, उसके चेहरे पर हैरानी और खौफ साफ झलक रहा था। शायद वो भूल चुका था कि उसकी 15 साल की उम्र की एक गलती उसे 72 साल की उम्र में इस तरह घसीटकर कानून के दरवाजे तक ले आएगी।

कानून के लंबे हाथ: कोई नहीं बच सकता

57 साल बाद भी कानून ने अपना काम कर दिखाया। प्रभु लाल दिल्ली में अपनी अलग दुनिया में ऐशो-आराम से जी रहा था, लेकिन उसका अतीत उसका पीछा नहीं छोड़ सका। वो जितना भी छिपा, जितनी भी नई पहचानें बनाई, लेकिन आखिरकार एक 15 साल की उम्र में किए गए अपराध की सजा उसे बुढ़ापे में मिली।