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पाकिस्तान-भारत में हुई जंग तो अमेरिका किसका साथ देगा ? क्या है इस रणनीतिक चुप्पी का मतलब

पहलगाम हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव पर दुनिया की नजरें टिकी हैं। अमेरिका किसका साथ देगा? जानिए एक्सपर्ट्स की राय और वैश्विक समीकरण।

पाकिस्तान-भारत में हुई जंग तो अमेरिका किसका साथ देगा ?  क्या है इस रणनीतिक चुप्पी का मतलब

पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद हर किसी की निगाहें भारत के एक्शन टिकी हुईं हैं। घटना को एक हफ्ते से ज्यादा का समय बीत चुका है लेकिन अभी तक भारत सरकार द्वारा आर्मी स्तर पर कोई कदम नहीं उठाया गया है। माहौल बेहद तनावपूर्ण है। ऐसे में कई एक्सपर्ट्स मानते हैं भारत बड़े मिशन की तैयारी कर रहा है। इसी बीच दुनिया भारत को देख रही है कि आखिर क्या होने वाला है। ये जानना भी जरूरी है अगर हालात और ज्यादा खराब होते हैं और बात जंग तक पहुंच जाती है तो भारत और पाकिस्तान के बीच अमेरिका किसका साथ देगा। 

जंग हुई तो किसके साथ खड़ा होगा अमेरिका 

अभी तक के घटनाक्रम को देखा जाए तो अमेरिका में आतंकवाद के खिलाफ भारत का समर्थन करने का ऐलान किया है लेकिन पाकिस्तान के खिलाफ एक भी शब्द नहीं बोला है और ना ही आलोचना की है। गौरतलब है, 22 अप्रैल को हुए इस हमले में 26 पर्यटकों की मौत हो गई थी। अमेरिका ने ऑफिशियल बयान देते हुए कहा था कि पूरे घटनाक्रम पर नजर बनाए हुए हैं। भारत और पाकिस्तान में की सरकार के साथ बातचीत जारी है। यह दोनों का आंतरिक मामला है। हालांकि अमेरिकी विदेश मंत्रालय की तरफ से आतंकवाद के खिलाफ भारत का समर्थन करने पर भी बयान आया था। अगर देखा जाए तो एशिया में चीन का मुकाबला करने के लिए अमेरिका के पास केवल भारत ही है जो कहीं ना कहीं स्थिति को मजबूत करता है। 

भारत और पाकिस्तान में किसे चुनेगा का अमेरिका?

भारत भले अमेरिका के लिए जरूरी हो लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि पाकिस्तान भी लंबे समय से अमेरिका का एक सहयोगी बना हुआ है। कई एक्सपर्ट्स मानते हैं आज के समय में जिस तरह चीन दुनिया में अपना दबदबा कायम करना चाहता है। उसे काउंटर करने के लिए अमेरिका को भारत से अच्छा साझेदार नहीं मिलेगा। इससे पाकिस्तान की चिंता बढ़ सकती है। बात युद्ध तक न पहुंचे इसलिए अमेरिका कूटनीति तरीके से दोनों देशों को समझाने की कोशिश कर सकता है। वही जिस तरह ट्रंप की पॉलिसी है उसे यही लगता है कि वे दोनों देशों के बीच ज्यादा हस्तक्षेप नहीं करेंगे। 

राजनीतिक एक्सपर्ट्स मानते हैं, अमेरिका अच्छे से जानता है कि सदियों से भारत की सीमा पर आतंकवाद की समस्या रही है और इसे भारत खत्म करना चाहता है लेकिन जैसे ही दोनों देशों के बीच कुछ होता है यह तनाव का माहौल पैदा कर देता है। पहले के मुकाबले अमेरिका को अब युद्ध में दिलचस्पी लेने का शौक नहीं है। यही वजह है कि बाइडेन सरकार जो यूक्रेन से कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी रही थी। ट्रंप के आने पर अमेरिका ने सारा समर्थन वापस ले लिया है। ऐसे में कहीं ना कहीं अमेरिका इस तनावपूर्ण स्थिति से दूरी बनाकर रखना चाहता है। अगर मान लीजिए स्थिति ज्यादा बिगड़ती है तो अमेरिका मध्यस्थ की पेशकश कर सकता है।