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2018 से 2023 तक कैसे बिगड़े रिश्ते, क्या अब संभलेगा "महारानी" का सियासी सफर? पढ़ें इस रिपोर्ट में

2018 की हार के बाद वसुंधरा राजे को बीजेपी में दरकिनार कर दिया गया, 2023 में सीएम पद से दूर रखे जाने ने उनके सियासी भविष्य पर सवाल खड़े कर दिए। जानिए क्या दिल्ली हाईकमान अब वसुंधरा का विकल्प खोज रहा है?

2018 से 2023 तक कैसे बिगड़े रिश्ते, क्या अब संभलेगा "महारानी" का सियासी सफर? पढ़ें इस रिपोर्ट में

राजस्थान। जब बात सूबे के वजनदार और तेजतर्रार नेताओं की होती है तो वसुंधरा राजे का नाम लिया जाता है। आज भी वह प्रदेश की राजनीति हिलाने का माद्दा रखती हैं लेकिन बीत कुछ सालों से खुद महारानी के सियासी सफर पर सवाल खड़े हुए हैं। 2018 में मिली हार के बाद से अभी तक पार्टी में उन्हें कोई खास जिम्मेदारी नहीं सौंपी गई है। जिसके बाद से कई राजनीतिक एक्सपर्ट्स मानते हैं भले राजे राजस्थान की बड़ी नेता हो लेकिन अब बीजेपी उनके सहारे बिल्कुल नहीं है। जिसका उदाहरण 2023 के विधानसभा चुनाव में देखने को मिला था। महारानी को इससे दूर रखा गया और जिम्मेदारी नए नेताओं को सौंपी गई। ऐसे में जानेंगे ऐसे क्या कारण रहे, जिस वजह से दिल्ली बैठे आलाकमान राजे का विकल्प तलाश रहे हैं। 

2018 के हार बनी बड़ी वजह 

वसुंधरा राजे को 2018 में सत्ता से हाथ धोना पड़ा था। बताया जाता है, जनता क्या बीजेपी के कई नेता उनकी नीतियों से खुश नहीं थे। इतना ही नहीं, कई नेता उनके महारानी वाले व्यक्तित्व से खुश नहीं थे। उनकी ये छवि नेताओं के साथ आम लोगों को भी रास नहीं आई। जिस वजह से राजे सत्ता से बेदखल हो गई।

यहां तक ठीक था लेकिन चुनावी हार के बाद राजे के संबंध दिल्ली तक बिगड़ने लगे थे। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो 2018 में तत्कालीन बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह का स्वागत करने मुख्यमंत्री नहीं पहुंची थीं। जिसे लेकर खूब हो-हल्ला मचा था। उस वक्त शीर्ष नेताओं ने डैमेज कंट्रोल करते हुए इसे दुष्प्रचार करार दिया था। इसके बाद राजे को विधायक दल की बैठक में देखा गया था। जिससे साफ हो गया था,  वह इतनी आसानी से साइड नहीं होने वाली हैं। 

2023 में चरम पर पहुंचा विवाद 

2018 से लेकर 2023 तक आलाकमान और वसुंधरा राजे के संबंधों में नाराजगी देखने को मिली। उन्हें कोई अहम जिम्मेदारी नहीं सौंपी गई। यहां तक राजे ने भी इस पर चुप्पी साध ली और चुनाव प्रचार से दूरी बनाई। इस वक्त चर्चाएं थी,पार्टी वसुंधरा राजे को सीएम की सत्ता सौंपी सकती हैं। हालांकि तमाम कयासों को दरकिनार रखते हए भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री चुना गया। ये राजे समेत बीजेपी के कई नेताओं के लिए बड़ा झटका था। इस दौरान एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, जहां राजनाथ सिंह और राजे एक साथ एक मंच पर बैठे थे।

इसी दौरान राजनाथ सिंह राजे को बंद लिफाफा देते हैं। जिसमें मुख्यमंत्री का नाम था। राजे का रिएक्शन खूब वायरल है, वो सरकार के इस फैसले से बिल्कुल नहीं खुश नहीं थी। हालांकि बावजूद इसके वसुंधरा ने अनुशासन और संयम का उदाहरण पेश करते हुए विधायक दल की बैठक में शामिल हुईं और हाईकमान के फैसले को सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया लेकिन जिस तरह से वह भजनलाल सरकार से भी दूरी बनाकर रखती हैं, उससे साफ प्रतीत होता है। अभी भी कहीं न कही राजे के दिल में इस बात की टीस है। खैर, आलाकमान के साथ उनेक संबंधों ने महारानी के सियासी भविष्य पर भी सवाल खड़े कर दिये थे, हालांकि वह फिर से पार्टी में सक्रिय हो गई हैं। ऐसे में देखना होगा,आने वाले सालों में महारानी की राजनीति क्या मोड़ लेती है।