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क्या राजस्थान की महारानी बनेंगी BJP की राष्ट्रीय अध्यक्ष? संघ और मोदी-शाह के बीच बड़ा राजनीतिक दांव

Vasundhara Raje vs Shivraj Singh Chouhan: वसुंधरा राजे का नाम राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए चर्चा में आना यह साबित करता है कि उनकी राजनीतिक पकड़ और अनुभव को शीर्ष नेतृत्व बहुत महत्व देता है. अब यह देखना होगा कि पार्टी इस दौड़ में किसे चुनती है और इससे पार्टी की राष्ट्रीय राजनीति पर क्या प्रभाव पड़ता है.

क्या राजस्थान की महारानी बनेंगी BJP की राष्ट्रीय अध्यक्ष? संघ और मोदी-शाह के बीच बड़ा राजनीतिक दांव

Vasundhara Raje Political Journey: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के केंद्रीय संगठन में वसुंधरा राजे का नाम प्रमुखता से चर्चा में है. राजस्थान की दो बार मुख्यमंत्री रह चुकीं वसुंधरा राजे को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं कि उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जा सकता है. यह खबर राजस्थान की राजनीति में हलचल मचा रही है.

संघ की पहली पसंद वसुंधरा राजे
सूत्रों के अनुसार, संघ की ओर से वसुंधरा राजे का नाम राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए सबसे उपयुक्त माना जा रहा है. सोशल मीडिया पर वसुंधरा राजे को इस संभावना के लिए अग्रिम बधाइयां भी मिलने लगी हैं. संघ ने पूर्व में संजय जोशी का नाम भी चर्चा में रखा था, लेकिन वसुंधरा राजे संघ की पहली पसंद बनी हुई हैं.

शिवराज सिंह चौहान भी दौड़ में
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने इस पद के लिए मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नाम का प्रस्ताव रखा है. हालांकि, संघ वसुंधरा राजे को इस पद के लिए सबसे उपयुक्त मानता है. बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व द्वारा अंतिम निर्णय लेना अभी बाकी है, लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी किस दिशा में कदम बढ़ाती है.

वसुंधरा राजे का राजनीतिक सफर

वसुंधरा राजे ने 2003 से 2008 और 2013 से 2018 तक राजस्थान की मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया.उनके नेतृत्व में पार्टी ने राज्य में मजबूत प्रदर्शन किया. वसुंधरा राजे ने केंद्र में भी कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाई हैं. वर्तमान में, वह बीजेपी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं.वसुंधरा राजे झालरापाटन विधानसभा सीट से लगातार विधायक निर्वाचित होती रही हैं. वह पांच बार लोकसभा सांसद भी रह चुकी हैं.

राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने से क्या होगा बदलाव?
यदि वसुंधरा राजे को बीजेपी की राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जाता है, तो यह उनके लिए एक बड़ा प्रमोशन होगा. राष्ट्रीय उपाध्यक्ष से अध्यक्ष बनने तक का सफर न केवल उनकी राजनीतिक ताकत को बढ़ाएगा, बल्कि बीजेपी के भीतर भी राजस्थान को राष्ट्रीय राजनीति में एक नया महत्व देगा.