राजनीतिक नेताओं के मार्गदर्शक थे आचार्य सत्येंद्र दास, सीएम भजनलाल और वसुंधरा राजे ने दी श्रद्धांजलि
Satyendra Das Death News: भजनलाल शर्मा और वसुंधरा राजे जैसे नेताओं के साथ आचार्य सत्येंद्र दास जी का संबंध यह दर्शाता है कि अध्यात्म और राजनीति अलग नहीं, बल्कि एक-दूसरे के पूरक हैं. राम मंदिर आंदोलन के दौरान हिंदू जागरण और राष्ट्रीयता की भावना को बढ़ावा देने में संतों की भूमिका महत्वपूर्ण रही, और आचार्य सत्येंद्र दास जी इस कड़ी का एक अहम हिस्सा थे.

Satyendra Das Death News: अयोध्या के प्रतिष्ठित संत और राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास जी का 87 वर्ष की आयु में निधन हो गया. उनका जाना न केवल धार्मिक जगत के लिए, बल्कि उन राजनीतिक हस्तियों के लिए भी गहरा आघात है, जो उनसे जुड़े रहे थे. इनमें राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का नाम प्रमुखता से लिया जाता है.
राजस्थान के वर्तमान मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा कट्टर हिंदूवादी विचारधारा से जुड़े रहे हैं और राम मंदिर आंदोलन के समय से ही अयोध्या से विशेष लगाव रखते थे. जब वे राजस्थान बीजेपी के महत्वपूर्ण नेता थे, तब उन्होंने अयोध्या जाकर रामलला के दर्शन किए थे और आचार्य सत्येंद्र दास जी से भी मुलाकात की थी.
भजनलाल शर्मा ने कई बार कहा कि राम मंदिर आंदोलन में जिन संतों ने योगदान दिया, उनमें सत्येंद्र दास जी का स्थान सर्वोपरि है. उनकी आध्यात्मिक ऊर्जा और सादगी ने उन्हें एक अद्वितीय व्यक्तित्व बनाया.
जब वे राजस्थान के मुख्यमंत्री बने, तब भी उन्होंने अपने पहले कार्यकाल में अयोध्या जाने और रामलला के दर्शन करने की इच्छा जताई थी. इस दौरान, उन्होंने आचार्य सत्येंद्र दास जी का आशीर्वाद लिया था.
वसुंधरा राजे और सत्येंद्र दास जी का जुड़ाव
पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी आचार्य सत्येंद्र दास जी से कई बार मिल चुकी थीं. राजस्थान के धार्मिक कार्यक्रमों और मंदिरों से उनका जुड़ाव हमेशा मजबूत रहा है. 2018 में अपने मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान, उन्होंने अयोध्या यात्रा की थी और रामलला के दर्शन करने के साथ-साथ आचार्य सत्येंद्र दास जी से विशेष भेंट की थी.
कहा जाता है कि वसुंधरा राजे ने आचार्य जी से राजस्थान में राम मंदिर निर्माण और हिंदू धर्म के प्रचार-प्रसार को लेकर मार्गदर्शन मांगा था. उनके बीच हुई बातचीत में राजस्थान के प्रमुख धार्मिक स्थलों के जीर्णोद्धार और मंदिरों के पुनरुद्धार पर भी चर्चा हुई थी.
वसुंधरा राजे ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर आचार्य सत्येंद्र दास जी को श्रद्धांजलि देते हुए लिखा "उनका योगदान और समर्पण अविस्मरणीय रहेगा. उन्होंने जिस श्रद्धा से रामलला की सेवा की, वह हम सभी के लिए प्रेरणादायक है."
रामलला की सेवा
1992 के बाबरी विध्वंस के दौरान उन्होंने रामलला की मूर्तियों को अपनी गोद में उठाकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया. उन्होंने लगभग 40 वर्षों तक रामलला की पूजा-अर्चना की और मंदिर निर्माण का सपना साकार होते देखा.
राजनीतिक नेताओं के मार्गदर्शक
उन्होंने राम मंदिर आंदोलन से जुड़े विभिन्न नेताओं को आध्यात्मिक मार्गदर्शन दिया, जिनमें लालकृष्ण आडवाणी, उमा भारती, योगी आदित्यनाथ, नरेंद्र मोदी, भजनलाल शर्मा और वसुंधरा राजे भी शामिल हैं.
धार्मिक शिक्षा का प्रसार
वे केवल एक पुजारी नहीं, बल्कि संस्कृत और शास्त्रों के विद्वान भी थे. उन्होंने राम मंदिर से जुड़े धार्मिक ग्रंथों और परंपराओं के संरक्षण में अहम भूमिका निभाई.
राजनीति और अध्यात्म का संगम
भजनलाल शर्मा और वसुंधरा राजे जैसे नेताओं के साथ आचार्य सत्येंद्र दास जी का संबंध यह दर्शाता है कि अध्यात्म और राजनीति अलग नहीं, बल्कि एक-दूसरे के पूरक हैं. राम मंदिर आंदोलन के दौरान हिंदू जागरण और राष्ट्रीयता की भावना को बढ़ावा देने में संतों की भूमिका महत्वपूर्ण रही, और आचार्य सत्येंद्र दास जी इस कड़ी का एक अहम हिस्सा थे.