Trendingट्रेंडिंग
विज़ुअल स्टोरी

और देखें
विज़ुअल स्टोरी

Rajasthan: 2028 में पायलट को टक्कर देना मुश्किल! भजनलाल सरकार के लिए कैसे बनें बड़ी चुनौती ? जानें

राजस्थान की राजनीति में सचिन पायलट का बढ़ता कद, क्या 2028 में बनेंगे मुख्यमंत्री? जानें उनके राजनीतिक रणनीतियां, प्रभाव और कांग्रेस पार्टी में उनकी भूमिका।

Rajasthan: 2028 में पायलट को टक्कर देना मुश्किल! भजनलाल सरकार के लिए कैसे बनें बड़ी चुनौती ? जानें

राजस्थान की राजनीति में सचिन पायलट मौजूदा वक्त में मात्र विधायक बन जनता का प्रतिनिधित्व कर रहे हो लेकिन उनका ओहदा और रुतबा मुख्यमंत्री वाला है। ये हम नहीं बल्कि सोशल मीडिया पर लोग कर रहे हैं। बीते कुछ महीनों में जिस तरह पायलट सक्रिय हैं, उससे लगता है,2028 के चुनावों में कांग्रेस आलाकमान बड़ी जिम्मेदारी सौंप सकते हैं। हालांकि यहां तक ठीक था लेकिन अब दूसरे नेता इस बात को मान रहे है, कि प्रदेश में पायलट के सामने लड़ाई वाला नेता अभी उनके पास नहीं है। सबसे पहले आप ये वीडियो देखिए-

बीजेपी नेता का पायलट पर बयान 

ये शख्स और कोई नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश के सरधना से सपा विधायक अतुल प्रधान हैं। जो कहते नजर आ रहे है,पूरे समाज में अगर कोई मुख्यमंत्री की दौड़ में सबसे आगे हैं तो वह सचिन पायलट हैं। इस बयान के बाद सियासी गलियारों में चर्चाओं का दौर तेज हो गया है। लोकसभा चुनाव हो या फिर सात सीटों पर हुआ उपचुनाव पायलट ने जिन सीटों का जिम्मा लिया वहां पार्टी ने जीत हासिल की। ऐसे में क्या आने वालों में पायलट कांग्रेस की नैया पार लगाएंगे ये सबसे बड़ा सवाल है। 

दिल्ली से राजस्थान साध रहे पायलट 

सचिन पायलट मौजूदा समय में राष्ट्रीय महासचिव की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। उन्हें छत्तीसगढ़ का प्रभारी बनाया गया ह लेकिन उनके नजर दिल्ली के बहाने राजस्थान पर है। 2023 के चुनावों के बाद पायलट की इच्छा अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठने की है। 2018 में जब वह राजस्थान कांग्रेस की कमान संभाल रहे थे तो पार्टी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए वसुंधरा राजे को सत्ता से बाहर किया था। ऐसे में अगर वह फिर से प्रदेश अध्यक्ष बनते हैं तो सीएम रेस में सबसे आगे रहना तय है। 

इसके अलावा अगर लोकसभा और हाल में संपन्न हुए उपचुनाव का रिजल्ट देखें तो वो पायलट ही थी जिन्होंने पार्टी को जीत दिलवाई। लोकसभा चुनावों के दौरान ज्यादातर पायलट के कहने पर दिये गए नतीजन कभी 25 सीटों पर जीतने वाली बीजेपी 13 सीटों पर गई। वहीं, सात सीटों पर हुए उपचुनाव में दौसा की जिम्मेदारी पायलट के कंधों पर थी। यहां से किरोड़ी लाल मीणा के भाई मैदान में थे। आखिर यहां पर बाबा किरोड़ी को चित्त करते हुए एक बार फिर पायलट ने सभी को हैरान कर दिया। ऐसे में देखना होगा, सूबे में बढ़ रहा उनका काम 2028 सत्ता की चाबी सौंपता या नहीं।