Rajasthan: उर्दू शब्द से मचा बवाल, राजस्थान में उठ रहे उर्दू मुक्त होने के सवाल!
राजस्थान में उर्दू पर विवाद: बारां जिले के एक स्कूल में फेयरवेल कार्ड पर उर्दू में जश्न-ए-अलविदा लिखने से सियासत गरमाई। शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने आपत्ति जताई। जानें पूरा मामला।

जयपुर। प्रदेश में राजनीति इन दिनों राजनीतिक दलों तक सीमित नहीं है। बल्कि उर्दू पर आ गई है। जहां स्कूल फेयरवेल का एक कार्ड अब सियासी मुद्दा बन चुका है। सोशल मीडिया पर भी इसकी चर्चा की जा रही है। जिस तरह ये मसला उछाला जा रहा है, तो एक ही सवाल हर किसी के मन में है क्या राजस्थान में उर्दू पर बैन लगेगा या फिर सरकार की मंशा कुछ और है। आखिर ये विवाद कहां से शुरू हुआ, चलिए विस्तार से जानते हैं।
फेयरवेल कार्ड से शुरू हुआ विवाद
राजस्थान में बोर्ड परीक्षाएं शुरू होने से पहले स्कूलों में फेयरवेल पार्टी का दौर जारी है। इसी बीच सोशल मीडिया पर एक फेयरवेल कार्ड वायरल हो रहा है। जहां आमंत्रण हिंदी-इंग्लिश में न लिखकर उर्दू में लिखा गया है। जश्न-ए- अलविदा के ऊपर मां सरस्वती की फोटो लगी है। जिसके बाद इस मसले ने सियासी रूप ले लिया और प्रधानाध्यापक के खिलाफ जांच बैठा। मामला इतना बढ़ की सड़क से लेकर सदन तक इसकी चर्चा हो रही है।
शिक्षा मंत्री ने लिया एक्शन
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे कार्ड बारां जिले स्थित महात्मा गांधी राजकीय स्कूल का बताया जा रहा है। जहां विदाई समारोह की जगह जश्न ए अलविदा लिखा गया था। मामले की शिकायत सबसे पहले बीजेपी विधायक ने की थी। जिसके बाद जिला कलेक्टर ने जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेठी का गठन किया। यहां तक खुद शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने मां सरस्वती की फोटो के साथ उर्दू के शब्दों के इस्तेमाल पर आपत्ति जताते हुए कहा था, मामले की जांच के लिए कमेटी गठित की गई है। जो भी दोषी होगा एक्शन लिया जाएगा।
खैर, ये कोई पहली बार नहीं है जब प्रदेश में उर्दू को लेकर संग्राम छिड़ा हो। इससे पहले राजधानी जयपर के एक स्कूल में संस्कृत टीचर की नियुक्ति और उर्दू न पढ़ाए जाने पर सियासी हंगामा बरपा था। तो वही पुलिस कार्रवाई से उर्दू शब्दों को हटाए जाने पर विपक्ष ने खूब सवाल उठाए थे। ऐसे में देखना होगा ये फेयरवेल कार्ड मुद्दा और और कितना गरमाता है।