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मंदिर में जूली की एंट्री से मचा बवाल, भापजा नेता की लगी क्लास ! राजकुमार रोत ने दिया बड़ा बयान

राजस्थान में मंदिर शुद्धिकरण विवाद: भाजपा नेता ज्ञान देव आहूजा ने कांग्रेस नेता टीकाराम जूली के मंदिर दर्शन के बाद गंगा जल से शुद्धिकरण किया, जिस पर कांग्रेस ने कड़ी प्रतिक्रिया दी और भाजपा ने आहूजा को निलंबित कर दिया।

मंदिर में जूली की एंट्री से मचा बवाल, भापजा नेता की लगी क्लास ! राजकुमार रोत ने दिया बड़ा बयान

जयपुर। राजस्थान में इन दोनों मंदिर शुद्धिकरण का मामला छाया हुआ है। कांग्रेस इस मुद्दे को जमकर भुना रही है तो वहीं बीजेपी डैमेज कंट्रोल करने में लगी हुई है। मामला नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली के मंदिर दर्शन और भाजपा नेता औऱ पूर्व विधायक ज्ञान देव आहूजा से जुड़ा हुआ है। जिसे लेकर जमकर सियासत की जा रही है। अभ इसमें कांग्रेस-बीजेपी के अलावा बीएपी पार्टी प्रमुख राजकुमार रोत भी कूद पड़े हैं। 

मंदिर शुद्धिकरण पर क्यों छड़ी सियासत? 

गौरतलब है, रामनवमी के मौके पर अलवर की एक समिति में धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। जिसमें भाजपा के कई नेताओं के साथ कांग्रेस नेता टीकाराम जूली भी पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने मंदिर में दर्शन किए। बस इसी बात से पूर्व भाजपा विधायक ज्ञान देव आहूजा नाराज हो गए और उन्होंने बड़ा बयान देते हुए कहा, कांग्रेस नेताओं के मंदिर आने से यह अपवित्र हो गया है। हद तो तब हो गई जब उन्होंने मंदिर में गंगा जल छिड़क कर सफाई की। जिस पर कांग्रेस भड़क उठी।

बीजेपी ने किया ज्ञानदेव के बयान से किनारा 

बात बढ़ने पर भाजपा नेता अलग-अलग नजर आए। यहां तक पार्टी ने ज्ञान देव को कारण बताओं नोटिस जारी करते हुए लिखा- आपने पार्टी की मूल विचारधारा का उल्लंघन किया है। जिसके तहत तुरंत प्रभाव से प्राथमिक सदस्यता को रद्द किया जाता है। वही जब इस बारे में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ से सवाल किया गया तो उन्होंने इसे ज्ञानदेव का निजी बयान बनाते हुए किनारा कर लिया और कहा ऐसे बयान का पार्टी समर्थन नहीं करती है। मंदिर जाने के लिए किसी की कोई जाति नहीं होती। 

राजकुमार रोत ने भी दी प्रतिक्रिया 

रोत ने ट्वीट करते हुए लिखा- राजस्थान विधान सभा के प्रतिपक्ष नेता टीकारामजी जूली के मंदिर दर्शन करने के बाद भाजपा नेता द्वारा जातिसूचक आपत्तिजनक टिप्पणी करते हुए मंदिर को गंगाजल छिड़ककर शुद्ध करने के घिनोने कृत्य की हम कड़ी निंदा करते हैं। सवाल खड़ा होता है कि देश में इस तरह की मानसिकता को पोषण देने का काम कौन कर रहा है ?