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Rajasthan: टीकाराम जूली से नाराज नहीं डोटासरा, फोटो साझा कर BJP को दिया बड़ा सियासी संदेश !

राजस्थान की राजनीति में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली के बीच तनाव की खबरें चर्चा में हैं। डोटासरा की विधानसभा में अनुपस्थिति ने कई सवाल खड़े किए हैं, लेकिन अब दोनों नेताओं की मुलाकात ने स्थिति को स्पष्ट किया है।

Rajasthan:  टीकाराम जूली से नाराज नहीं डोटासरा, फोटो साझा कर BJP को दिया बड़ा सियासी संदेश !

जयपुर। गोविंद सिंह डोटासरा के सदन आने पर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही थीं। बीजेपी इसे आपसी अनबन का नाम दे रही थी तो दूसरी तरफ कांग्रेस सब कुछ ठीक होने का दावा कर रही थी। दबी जुबान से कहा तो ये भी जा रहा था, कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष टीकाराम जूली के सदन में माफी मांगने से नाराज है। इस वजह से वह विधानसभा नहीं आ रहे हैं। हालांकि बात बढ़ने पर पायलट से लेकर खुद जूली ने इसे अफवाह करार दिया था, लेकिन अब खुद डोटासरा इस पर विराम लगा दिया है। 

डोटासरा और जूली की मुलाकात

दरअसल, बीती रात गोविंद सिंह डोटासरा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली के साथ तस्वीर पोस्ट करते हुए लिखा- पीसीसी में नेता प्रतिपक्ष टीका राम जूली जी से शिष्टाचार भेंट एवं प्रदेश के महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई। जिसने सोशल मीडिया पर हलचल मचा दी। 

संवैधानिक पद की गरिमा होती है, उस आसन को धारण करने वाले माननीय को अपना आचरण पद के अनुकूल बनाए रखना पड़ता है।

आसन के हर आदेश में यह न्याय व निष्पक्षता एवं आचरण में समान व्यवहार, विचार व संस्कार झलकना चाहिए।

वाद-विवाद, क्रोध और विरोध के विपरित पक्ष-विपक्ष के लिए संवैधानिक…

— Govind Singh Dotasra (@GovindDotasra)

मुलाकात से पहले अन्य ट्वीट

इससे इतर इस मुलाकात से पहले उन्होंने एक अन्य ट्वीट भी किया, जिसमें उन्होंने लिखा- संवैधानिक पद की गरिमा होती है, उस आसन को धारण करने वाले माननीय को अपना आचरण पद के अनुकूल बनाए रखना पड़ता है।आसन के हर आदेश में यह न्याय व निष्पक्षता एवं आचरण में समान व्यवहार, विचार व संस्कार झलकना चाहिए। वाद-विवाद, क्रोध और विरोध के विपरित पक्ष-विपक्ष के लिए संवैधानिक व्यवस्था सर्वोपरि होनी चाहिए। द्वेष, दुर्भावना एवं दल के विचारों को त्यागकर चरित्र में सिद्धांतों का समावेश आवश्यक है।  किंतु जो देखने को मिल रहा है वह अत्यंत कष्टदायक है, आसन की गरिमा का हवाला देकर कुंठित विचारधारा से लोकतंत्र एवं सदन दोनों का मखौल बनाया जा रहा है।ऐसा प्रतीत हो रहा है कि इस पारदर्शिता को पुनः परिभाषित करने की आवश्यकता महसूस की जानी चाहिए।

क्या संदेश देना चाह रहे डोटासरा ?

बहरहाल, इस बार के विधानसभा सत्र में अगर कोई नेता सत्तापक्ष पर हावी रहा है तो वह गोविंद सिंह डोटासरा है। जिन्होंने बीजेपी और भजनलाल सरकार को भ्रष्टाचार, महंगाई पेपर लीक जैसे मुद्दों पर सड़क से लेकर सदन तक घेरा है। ऐसे में सदन से उनकी दूरी कई तरह के सवालिया निशान खड़ा कर रही थी। खैर, टीकाराम जूली संग फोटो शेयर उन्होंने ये तो साफ कर दिया, कांग्रेस में सब ठीक  है। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा, वह सनद आते हैं या नहीं।