Rajasthan: भजनलाल सरकार से दूरी बना रहे किरोड़ी लाल मीणा ! खड़ी कर दी बड़ी चुनौती, क्या होगा सियासी असर?
राजस्थान बजट सत्र में किरोड़ी लाल मीणा की अनुपस्थिति पर सवाल! क्या भजनलाल सरकार से दूर हो रहे हैं मीणा? जानिए राजनीतिक गलियारों में चल रही चर्चा और बाबा की रणनीति के बारे में।

जयपुर। राजस्थान में 31 जनवरी से बजट सत्र शुरू हो रहा है। कांग्रेस ने सरकार को घेरने की तैयारी की है तो भजनलाल सरकार भी बजट पेश करने के लिए तैयार हैं हालांकि इनके सबसे बीच सभी की निगाहें कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा पर टिकी हैं। उन्होंने विधानसभा स्पीकर वासुदेव देवनानी को पत्र लिखकर स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अनुपस्थित रहने की इजाजत मांगी है। यानी पिछली बार की तरह इस बार भी बाबा सदन में नजर नहीं आयेंगे। बाबा ने ये दांव क्यों चला ये तो वही बता सकते है लेकिन सियासी जानकारी इसे भजनलाल सरकार से जोड़ देख रहे हैं। क्या किरोड़ी लाल मीणा सरकार से दूरी बनाने का प्रयास कर रहे हैं, आखिर वह शीर्ष नेतृत्व को क्या संदेश देना चाहते हैं। इस पर आज चर्चा करेंगे।
अब क्या करेगी भजनलाल सरकार ?
बीते बजट सत्र में भी किरोड़ीलाल मीणा ने सदन से दूरी बनाई थी। वह इस्तीफे का हवाला देते हुए एक दिन भी बजट सत्र में शामिल नहीं हुए थे। जिसके बाद कांग्रेस ने इसे मुद्दे को जमकर भुनाया और सदन में जमकर हंगामा हुआ। ऐसे में मीणा इस बार भी अनुपस्थित रहते हैं तो हंगामा होना तय है। सरकार विपक्ष को क्या जवाब देगी ये देखना रोचक होगा।
सरकार पर हावी होंगे किरोड़ी लाल मीणा ?
बीते दिनों किरोड़ी लाल मीणा कह चुके हैं, ये मंत्री पद उनके लिए गले की घंटी हैं जिसे वह जल्द से जल्द उतारना चाहते हैं। यहां तक उन्होंने ये भी कहा था,मेरे वैराग्य लेने से लालसोट विधायक के लिए दरवाजें खुल जाएंगे। यानी वह सत्ता हस्तांतरित करने का संकेत देते नजर आए थे। ऐसे में सवाल है, आखिर वह सरकार से दूरी बनाते क्यों नजर आ रहे हैं। अगर पन्नों को पलट देखा जाये तो विधानसभा हो या फिर लोकसभा चुनाव उन्होंने बीजेपी के लिए जमकर प्रचार किया। कार्यकर्ताओं को उम्मीद थी, सत्ता की चाबी बाबा किरोड़ी को सौंपी जायेगी हालांकि ऐसा नहीं है।
वहीं, कई सियासी जानकार मानते हैं बीते 13 महीनों में किसी भी विषय पर बाबा किरोड़ी की नहीं सुनी गई। चाहे एसआई भर्ती परीक्षा हो या फिर समरावता गांव के लोगों को न्याय की बात सरकार ने अभी तक उनकी सुनी है। यही वजह है, अब खुद वह बैकफुट पर हो गए हैं। जब उनसे एसआई भर्ती पर सवाल किया जाता है तो वह सीएम भजनलाल के ऊपर फैसला छोड़ देते हैं। ऐसे में ये मुद्दा विधानसभा में चर्चा में रहने वाला है। देखना होगा, भजनलाल सरकार इससे कैसे निपटती है।