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मिर्धा से पंगा लेना गजेंद्र सिंह को पड़ा भारी, खतरे में कुर्सी ! क्या हैं सियासी मायने?

राजस्थान की खींवसर सीट पर जुबानी जंग तेज हो गई है। बीजेपी नेता ज्योति मिर्धा और स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह आमने-सामने हैं। संगठन तक मामला पहुंचने की अटकलें तेज, क्या पद पर आ सकती है आंच?

मिर्धा से पंगा लेना गजेंद्र सिंह को पड़ा भारी, खतरे में कुर्सी ! क्या हैं सियासी मायने?

जयपुर। राजस्थान की राजनीति में कांग्रेस-बीजेपी के अक्सर कोई न कोई विवाद बना रहता है लेकिन आपसी गुटबाजी की खबरें अक्सर चर्चाओं का कारण बनती है। बीते दिनों गोविंद सिंह डोटासरा ने लापरवाही करने वाले कार्यकर्ताओं और प्रतिनिधियों को हिदायत दी थी, जिसके बाद से तमाम तरह के कयास लगाएं जा रहे हैं। कांग्रेस के साथ बीजेपी में भी सिरफुटव्वल चल रहा है। नेता एक-दूसरे पर तंज कस रहे हैं। खींवसर सीट फिर से चर्चा में आ गई है। यहां से रेवंत राम डांगा भले विधायक हों लेकिन सुर्खियां ज्योति मिर्धा बंटोर रही हैं। मिर्धा और स्वास्थय मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर आमने-सामने हैं और बीते कई दिनों से दोनों के बीच जुबानी जंग जारी है। 

क्यों आमने-सामने दो बीजेपी नेता

मामला रेवंत डांगा के पार्टी-संगठन को लिखे पत्र से जुड़ा है। जहां उन्होंने नागौर में अफसरों के साथ सिस्टम पर उनकी बात न मानने का आरोप लगाया था और कहा था, अगर ऐसा ही चलता रहा तो बीजेपी को नुकसान उठाना पड़ सकता है। कुछ दिनों बाद ये पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और हंगामा हुआ। बीते दिनों ज्योति मिर्धा ने नाम लिये बिना कहा, मुझे पता है किसने ये पत्र लीक करवाया है और वो ऐसा क्यों करना चाहते हैं। जिस पर धनंजय सिंह ने पलटवार करते हुए कहा था, तीन बार हार की कसक दूसरों पर आरोप लगाकर निकाली जा रही है। जब जनता उन्हें पसंद नहीं कर रही है तो इसमें हमारी क्या गलती। बस बयान के बाद से मिर्धा और गजेंद्र सिंह खींमसर व उनके बेटे के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है। 

गजेंद्र सिंह खींवसर लिए मुश्किल !

जिस तरह बिना नाम लये और मर्यादाओं को लांघते हुए जिस तरह बयानबाजी कर रहे हैं और ये मामला बढ़ता जी रहा है। ऐसे में शीर्ष संगठन को दखल देना पड़ सकता है। अगर ऐसा होता है तो खींवसर के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती है। कहा तो ये भी जा रहा है, ज्योति मिर्धा दिल्ली तक मजबूत पकड़ रखती हैं। यदि ये मामला शांत नहीं हुआ तो स्वास्थ्य मंत्री का पद भी जा सकता है। खैर, ये तो कयास है हालांकि देखना होगा, बीजेपी इस मसले को कैसे सुलझाती है।