खींवसर में RLP की हार का बदला लेने दिल्ली पहुंच गए बेनीवाल! क्या इंडिया गठबंधन खत्म हो गया?
Hanuman Beniwal Statement: साल 2014 और 2019 में मोदी लहर का मुकाबला ना कर पाने वाला विपक्ष इस साल इंडिया गठबंधन की शक्ल में एकजुट हुआ. कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में 99 सीटें मिली और बीजेपी भी पूर्ण बहुमत से दूर रही. लेकिन नतीजों के बाद यह उत्साह ज्यादा दिन बरकरार नजर नहीं आ रहा है.

साल 2014 और 2019 में मोदी लहर का मुकाबला ना कर पाने वाला विपक्ष इस साल इंडिया गठबंधन की शक्ल में एकजुट हुआ. कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में 99 सीटें मिली और बीजेपी भी पूर्ण बहुमत से दूर रही. लेकिन नतीजों के बाद यह उत्साह ज्यादा दिन बरकरार नजर नहीं आ रहा है. अब एक के बाद एक गठबंधन के सहयोगी दलों ने कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. जो इंडिया गंठबंधन बीजेपी के खिलाफ एक होकर लड़ने की बात कर रहा था, वह तो राहुल गांधी और कांग्रेस से ही लड़ता ही नजर आ रहा है.
जब कांग्रेस 100 के करीब पहुंची तो नेता विपक्ष चुने गए राहुल गांधी अघोषित तौर पर भी इंडिया गठबंधन के नेता स्वीकार कर लिए गए थे. लेकिन लगता है जैस 4 राज्यों के विधानसभा चुनावों ने कांग्रेस को गठबंधन के भीतर ही अस्वीकार्य कर दिया है.
गठबंधन में दरार और बेनीवाल का तड़का!
अब हनुमान बेनीवाल के बयान को ही देख लीजिए, कह रहे हैं, "दिल्ली में अरविंद केजरीवाल को हराने के लिए कांग्रेस ने भाजपा से सुपारी ले रखी है. मैं मानता हूं कि अगर कांग्रेस के यही हालात रहे तो इंडिया गठबंधन में नेतृत्व को बदलने के मांग उठेगी.इंडिया गठबंधन का भविष्य बर्बाद हो गया है." उपचुनाव में खींवसर हार की टीस भी वह भूले नहीं है और कांग्रेस पर भाजपा से समझौते का आरोप लगा रहे हैं.
विधानसभा चुनावों में हार के बाद कांग्रेस के बुरे वक्त में कौन साथ?
अयोध्या से जीते सपा के सांसद अवधेश प्रसाद को आगे की सीट दी गयी. लेकिन वायनाड से प्रियंका गांधी के चुनकर आते ही बैठने की व्यवस्था में बदलाव हुआ और अवधेश प्रसाद को पीछे की सीट दी गयी. कहा गया कि सपा इसे अपमान माना और इसके लिए कांग्रेस को जिम्मेदार माना. ममता बनर्जी ने इंडिया गठबंधन के नेतृत्व की ख्वाहिश जताकर मामला और गरमा दिया. जब हरियाणा विधानसभा चुनाव हुआ तो मुख्यमंत्री पद की दावेदारी और गुटबाजी के बीच कांग्रेस को झटका लगा. जम्मू-कश्मीर के चुनाव के बाद उमर अब्दुल्ला ने भी अलायंस की प्रासंगिकता पर सवाल उठा दिए. जम्मू-कश्मीर की तरह झारखंड में कांग्रेस जूनियर पार्टनर ही रही. और महाराष्ट्र में तो महाविकास आघाड़ी का बुरे प्रदर्शन के बाद जैसे गठबंधन बुरी तरह बिखर ही गया.