Rajasthan: राजस्थान से एमपी तक बढ़ी हरीश चौधरी की ताकत ! आलाकमान के इस फैसले के बाद बदल गई फिजा, जानें पूरा मामला
कांग्रेस नेता हरीश चौधरी को मध्य प्रदेश का प्रभारी बनाया गया है। पार्टी संगठन को मजबूत करने और चुनावी रणनीति में उनकी भूमिका अहम होगी। जानें उनका राजनीतिक सफर और कांग्रेस में बढ़ता कद।

जयपुर। कांग्रेस नेता हरीश चौधरी पर भारी विश्वास जताते हुए शीर्ष नेतृ्त्व ने उन्हें बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। हरीश चौधरी को एमपी का प्रभारी बनाया गया है। बीते दिन कांग्रेस ने पार्टी ने 9 दिग्गज नेताओं को अलग-अलग राज्यों की कमान सौंपी है। जिसमें हरीश चौधरी का नाम शामिल है। उन्हें मध्य प्रदेश दिया गया है। बता दें, आलाकमान के इस फैसले के बाद पार्टी में चौधरी का कद बढ़ना तय है। मौजूदा वक्त में वह बाड़मेड़ जिले की बायतु सीट से विधायक है।
गांधी परिवार के खास हरीश चौधरी
मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं, हरीश चौधरी आलाकमान के साथ गांधी परिवार के साथ नजदीकी संबंध रखते हैं। एमपी की जिम्मेदारी मिलने से पहले वह पंजाब प्रभारी के तौर पर सक्रिय भूमिक निभा चुके हैं। कई राजनीतिक विशेषज्ञ हरीश चौदरी को कांग्रेस का कुशल रणनीतिकार मानते हैं। चुनाव से लेकर संगठन तक वह एक्टिव नजर आते हैं। जब बात रणनीति की आती हैं तो वह कभी पीछे नहीं हटते और वह चुनावी प्लान बनाने में माहिर है। यही कारण है, कांग्रेस नेतृत्व भी हरीश चौधरी की बात गंभीरता से सुनता है।
हरीश चौधरी का राजनीतिक करियर
राजस्थान की राजनीति में हरीश चौधरी लंबे वक्त से सक्रिय हैं। वह सीमावर्ती जिले बाड़मेर से ताल्लुक रखने वाले हरीश चौधरी बायूत से दूसरी बार विधायक बने हैं। राजस्थान सरकार में वह राजस्व मंत्री रह चुके हैं। 2009-14 के बीच वह बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभी सीट से सांसदी चुनाव जीते थे। छात्र जीवन में सियासी पारी की शुरुआत करने वाले हरीश चौधरी जोधपुर की जय नारायण व्यास यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष रह चुके हैं।
एमपी में कांग्रेस की कमान संभालेंगे चौधरी
बता दें, लंबे वक्त से एमपी की राजनीति में कांग्रेस का खाता नहीं खुल रहा है। बीते साल हुए चुनावों में भी हार का सामना पार्टी को करना पड़ था। ऐसे में संगठन को मजबूत करने और पार्टी को पुनर्गठित करने के लिए हरीश चौधरी को चुना गया है। उनके लिये के काम बिल्कुल भी आसान नहीं होने वाला है। एमपी में विपक्ष में रहकर कांग्रेस को मजबूत करने में हरीश चौधरी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाएंगे। अगर वह इसमें सफल होते हैं तो उनकी सियासी कद भी बढ़ सकता है।