Rajasthan: जो वसुंधरा नहीं कर पाई जो काम वो भजनलाल कर देंगे ! बदलने वाली है सियासी फिजा,जानें पूरा मामला
राजस्थान में धर्मांतरण कानून: भजनलाल शर्मा सरकार 2024 में धर्मांतरण पर नकेल कसने के लिए विधेयक लाएगी। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी पहले ऐसा बिल ला चुकी हैं। जानिए क्या हैं इसके मायने और राजनीतिक प्रभाव।

राजस्थान की सियासत में इन दिनों एक बार फिर पारा हाई है। सरकार बजट सत्र के दौरान प्रदेश में धर्मांतरण पर नकेल कसने के लिए विधेयक पेश करेगी। बताया जा रहा है,इसके लिए सारी तैयारियां पूरी हो गई है। सीएम भजनलाल शर्मा राजस्थान विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध विधेयक 2025'सदन में पेश करेंगे। ये बिल आने के बाद सूबे में होने वाले धर्मांतरण मामलों पर नकेल कसी जायेगी। बता दें, भजनलाल शर्मा से पहले ये बिल पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी ला चुकी हैं। ऐसे में अब इस विषय पर राजनीति भी शुरू हो गई है और सियासी पंडित इसे अलग-अलग नजरिए से देख रहे हैं।
बात 2006 की है जब प्रदेश में धर्मांतरण मामलों में वृद्धि हो रही थी। राजस्थान में धर्मांतरण कानून लाने की पहल वसुंधरा राजे द्वारा की गई है। उन्होंने 2006 में पहली बार धर्म स्वातंत्र्य बिल सदन में पास किया था, हालांकि इसे तत्कालीन यूपीए सरकार ने मूंजरी नहीं दी और ठंडे बस्ते में चला गया। इसी तरह 2008 में भी महारानी तमाम कोशिशों के बावजूद एक बार फिर सदन में बिल पेश किया हालांकि फिर केंद्र से मंजूरी नहीं मिली। वसुंधरा राजे जो बिल लेकर आयी थीं, उसके मुताबिक, यदि कोई शख्स झूठ बोलकर या फिर धर्म छिपाकर किसी दूसरे धर्म की महिला से शादी करती है तो उसे तीन से 10 साल की सजा हो सकती है। वहीं, यदि कोई स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन करना चाहता है तो उसे दो महीने जिला कलेक्टर को इसकी जानकारी देनी होगी।
भजनलाल सरकार जब से मुख्यमंत्री बने हैं, उनके अनुभव को लेकर तमाम तरह की बातें की गईं हालांकि उन्हें 13 महीने से ज्यादा सत्ता संभाले हुए वक्त हो गया है। संगठन के अनुभव के आधार पर वह सरकार चला रहे हैं। ऐसे में राजनीतिक पंडित मानते हैं, भजनलाल सरकार का ये फैसला उनकी छवि को और भी ज्यादा मजबूत बना सकता है। खैर, इस बिल पर सत्र में हंगामा होना तय है। देखना होगा, विपक्ष धर्मांतरण बिल पर क्या प्रतिक्रिया देता है।