जयपुर में जकात से 32 लोगों को रोजगार, शिक्षा और नशामुक्ति का अभियान तेज!
Jaipur Zakat Initiative: जयपुर में जकात सेंटर फॉर इंडिया यूनिट की अनोखी पहल के तहत जकात की रकम को केवल आर्थिक मदद तक सीमित न रखकर शिक्षा, रोजगार और नशामुक्ति के लिए उपयोग किया जा रहा है. पिछले साल 32 लाख रुपये एकत्रित हुए, जिनमें से 22 लाख रुपये से 32 लोगों को स्वरोजगार शुरू करने में मदद दी गई. कई छात्रों की शिक्षा में सहायता की गई और नशामुक्ति केंद्रों में युवाओं की काउंसलिंग करवाई गई. यह पहल जरूरतमंदों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है.

रमजान का महीना नज़दीक है और इसी के साथ दान-पुण्य की परंपरा भी अपने चरम पर होती है. लेकिन क्या हो अगर यह दान सिर्फ जरूरतमंदों की मदद तक सीमित न रहकर उनके जीवन को संवारने का जरिया भी बने? जयपुर में जकात सेंटर फॉर इंडिया यूनिट कुछ ऐसा ही कर रहा है. यहां जकात की रकम केवल आर्थिक मदद तक सीमित नहीं रहती, बल्कि इसे शिक्षा, रोजगार और नशामुक्ति जैसे अहम मुद्दों पर खर्च किया जा रहा है.
कैसे बदल रही जिंदगियां?
पिछले साल जयपुर में जकात के रूप में 32 लाख रुपये एकत्रित किए गए. इस रकम का एक बड़ा हिस्सा उन लोगों की मदद के लिए इस्तेमाल हुआ, जो मेहनत तो करना चाहते थे लेकिन संसाधनों की कमी के कारण पीछे रह जाते थे. 22 लाख रुपये खर्च कर 32 लोगों को रोजगार शुरू करवाने में मदद दी गई. किसी ने दर्जी की दुकान खोली, किसी ने इलेक्ट्रॉनिक्स रिपेयरिंग सेंटर शुरू किया, तो किसी ने छोटे स्तर पर बिजनेस जमाया. यह सिर्फ आर्थिक मदद नहीं थी, बल्कि आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ाया गया एक मजबूत कदम था.
शिक्षा और नशामुक्ति पर खास फोकस
रोजगार के साथ-साथ शिक्षा भी एक बड़ा मुद्दा है. जकात की राशि से ऐसे छात्रों की मदद की गई, जिनके पास पढ़ाई जारी रखने के लिए पर्याप्त साधन नहीं थे. कई बच्चों को स्कूल-कॉलेज की फीस दी गई, तो कुछ को किताबें और अन्य ज़रूरी संसाधन उपलब्ध कराए गए.
नशामुक्ति अभियान भी इस पहल का अहम हिस्सा है. जकात फंड से ऐसे युवाओं की काउंसलिंग करवाई गई, जो नशे की लत से जूझ रहे थे. कई लोगों को पुनर्वास केंद्रों में भेजा गया और उनकी जिंदगी को एक नई दिशा देने का प्रयास किया गया.
गर्मी की मार, लेकिन जज्बा बरकरार
जयपुर में इस वक्त पारा 40 डिग्री के पार जा चुका है. लेकिन भीषण गर्मी भी उन कार्यकर्ताओं के हौसले को कम नहीं कर पाई, जो जकात के सही इस्तेमाल को सुनिश्चित करने में जुटे हैं. इस अभियान से जुड़े लोग रोज़ घर-घर जाकर यह बताते हैं कि जकात सिर्फ जरूरतमंदों को पैसा देने तक सीमित नहीं, बल्कि इसे सही दिशा में लगाने से समाज की तस्वीर बदली जा सकती है.
समाज को आत्मनिर्भर बनाने की पहल
इस पहल का मकसद सिर्फ अल्पकालिक राहत देना नहीं, बल्कि जरूरतमंदों को खुद के पैरों पर खड़ा करना है. रोजगार मिलने के बाद जिन लोगों की जिंदगी बदली, उन्होंने अब खुद आगे बढ़कर इस मुहिम में योगदान देना शुरू कर दिया है. इससे समाज में सशक्तिकरण और आत्मनिर्भरता का एक मजबूत संदेश जा रहा है.