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रणथंभौर में बाघ का आतंक! मंदिर से लौटते मासूम को बनाया शिकार, अबतक 20 मौतें

रणथंभौर टाइगर रिजर्व में बाघ के हमले में 7 साल के बच्चे की मौत, मंदिर यात्रा पर 5 दिन की रोक। जानें अब तक कितने हमले हो चुके हैं।

रणथंभौर में बाघ का आतंक! मंदिर से लौटते मासूम को बनाया शिकार, अबतक 20 मौतें

राजस्थान का रणथंभौर टाइगर रिजर्व, जो कभी जयपुर राजघराने की शाही शिकारगाह हुआ करता था, आज बाघों के असहज व्यवहार और इंसानी जान पर बढ़ते खतरे को लेकर चिंता का केंद्र बन गया है। ताजा मामला 16 अप्रैल का है, जब त्रिनेत्र गणेश मंदिर से लौट रहे एक परिवार पर बाघ ने हमला कर दिया। इस हमले में 7 साल का कार्तिक सुमन बाघ का शिकार बन गया। कार्तिक अपनी दादी के साथ जंगल के रास्ते घर लौट रहा था, तभी एक बाघ अचानक झाड़ियों से निकला और बच्चे को जबड़े में दबाकर जंगल में ले गया।

बाघ कुछ समय तक शव पर बैठा रहा, जिसे वन विभाग की टीम ने कड़ी मशक्कत के बाद वहां से हटाया। इसके बाद शव को अस्पताल भेजा गया। इस दर्दनाक घटना के बाद श्रद्धालुओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए रणथंभौर किले और त्रिनेत्र गणेश मंदिर की यात्रा को अगले पांच दिन तक बंद कर दिया गया है।

मृतक के परिवार को त्रिनेत्र गणेश मंदिर ट्रस्ट ने 1.5 लाख रुपये की सहायता दी है। वहीं वन विभाग और प्रशासन की ओर से पीड़ितों को हरसंभव मदद का आश्वासन मिला है। श्रद्धालुओं से जंगल में अकेले न जाने की अपील की गई है और सुरक्षा प्रबंधों को मजबूत किया जा रहा है।

यह कोई पहली घटना नहीं है। बीते 38 वर्षों में बाघों द्वारा 20 लोगों की जान ली जा चुकी है। पहले हमले की शुरुआत 1987 में हुई थी और 2019 में सबसे ज्यादा 5 जानें गईं। वर्ष 2025 में अब तक दो लोग बाघों का शिकार बन चुके हैं।

वर्तमान में राजस्थान में 141 बाघ हैं, जिनमें से 80 अकेले रणथंभौर में रहते हैं। यह टाइगर रिजर्व 1700 वर्ग किमी में फैला है और यहां तेंदुआ, भालू, मगरमच्छ और दुर्लभ पक्षियों सहित कई प्रजातियां पाई जाती हैं।

हाल के वर्षों में पर्यावरणीय असंतुलन, जंगलों का सिकुड़ना और पर्यटन का अत्यधिक दबाव, इंसान और जानवर के बीच टकराव को बढ़ा रहा है जो अब मासूम जिंदगियों पर भारी पड़ रहा है।