16 साल पहले वसुंधरा राजे के कार्यकाल में भी पेश हुआ था धर्मांतरण कानून, 10 साल था सजा का प्रावधान
राजस्थान सरकार धर्मांतरण विरोधी विधेयक को फिर से विधानसभा में पेश करने जा रही है, जिसमें जबरन धर्म परिवर्तन करने वालों को 3 से 10 साल की सजा का प्रावधान हो सकता है। इससे पहले वसुंधरा राजे के कार्यकाल में पेश किया गया था।

राजस्थान की मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा एक नया विधेयक पेश करने वाली है। राजस्थान सरकार विधानसभा में धर्मांतरण विरोधी धार्मिक विधेयक को पेश करने वाली है। इस विधेयक को सोमवार को विधानसभा में बजट सत्र के दौरान पेश किया जाएगा। इसमें जबरन धर्म परिवर्तन के मामले में आरोपी को जेल की सजा देने की संभावना है। इससे करीब 16 साल पहले वसुंधरा राजे के कार्यकाल में इस तरह के बिल को पेश किया गया था।
बता दें कि बीते साल 2023 में बीजेपी के फिर से सत्ता में आने के बाद से ही वसुंधरा राजे द्वारा पेश किए गए बिल को भजनलाल सरकार द्वारा पेश किए जाने की मांग हो रही है। तो वहीं दूसरे धर्म में शादी करने वालों के लिए भी नए नियम और शर्तें लागू की जा सकती है।
वसुंधरा राजे की सरकार के दौरान पेश हुआ था धर्म स्वातंत्र्य बिल
इसके पहले पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की सरकार के कार्यकाल के दौरान साल 2006 और 2008 में धर्म स्वातंत्र्य बिल दो बार पास हुआ था। लेकिन उस समय की यूपीए सरकार ने इस बिल को मंजूरी नहीं दी थी, लेकिन इस बार के पेश विधेयक में नियमों और प्रावधानों को भी इस बिल में शामिल किया जा सकता है। इससे पहले साल 2008 में तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सरकार में इस बिल को लाया गया था, लेकिन बाद में वह केंद्र में जाकर अटक गया था। इस कानून के अंतर्गत जबरन धर्मांतरण करने पर तीन से 10 साल तक की सजा का प्रावधान होगा। इसके अलावा यदि कोई अपनी मर्जी से धर्म परिवर्तन करते हैं तो उनको करीब 60 दिन पहले कलेक्टर को इस मामले की सूचना देनी होगी।
पहले इन राज्यों में पेश हुआ था बिल
यह कानून पहले से झारखंड, कर्नाटक और गुजरात में लागू है, और सबसे पहले ओडिशा में साल 1967 में धर्मांतरण कानून पेश किया गया था। भाजपा शासित राज्यों उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड में भी धर्मांतरण कानून लाया गया है। यदि कोई व्यक्ति जबरन धर्म परिवर्तन करके विवाह करता है, तो पारिवारिक न्यायालय उसको निरस्त कर सकता है।