Rajasthan के ST छात्रों को नहीं मिली छात्रवृत्ति तो सचिन पायलट ने सरकार की संवेदनहीनता पर उठाया सवाल, जानिए पूरी बात!
सचिन पायलट ने कहा कि ये भाजपा के शिक्षा के क्षेत्र में खोखले दावों और अनुसूचित जनजाति के छात्रों के शैक्षणिक भविष्य के प्रति संवेदनहीनता का प्रमाण है। इन त्रुटियों को सरकार को तुरंत दूर करना चाहिए ताकि छात्र सहायता से वंचित ना रहें।

राजस्थान के पूर्व उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने छात्रों की छात्रवृत्ति को लेकर बात की है। बीते 4 सालों के दौरान राजस्थान अनुसूचित जनजाति के छात्रों की स्कॉलरशिप लंबित हुई है। जिसपर उप-मुख्यमंत्री ने सचिन पायलट ने सरकार को घेरा है। क्या है पूरी बात? जानिए...
क्या है मामला
राजस्थान में पिछले चार सालों (2021-22 से 2024-25) के दौरान अनुसूचित जनजाति (ST) के छात्रों के लिए प्री-मैट्रिक और पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति की 3.2 लाख आवेदन लंबित हैं। ये जानकारी हाल ही में लोकसभा में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा दिए गए जवाब में सामने आई। जानकारी के मुताबिक, केंद्र सरकार ने 2023-24 में ST छात्रों के लिए प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति की राशि जारी नहीं की, क्योंकि नोडल खाते में पहले से अप्रयुक्त धन बचा हुआ था और राजस्थान सरकार द्वारा उपयोग प्रमाण पत्र (UC) जमा नहीं किया गया था।
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बताते चलें, प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के तहत, जनजातीय कार्य मंत्रालय ने 2022-23 में 35.30 करोड़ रुपये और 2024-25 में 22.36 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। वहीं, पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के तहत 2022-23 में 188.10 करोड़ रुपये, 2023-24 में 220 करोड़ रुपये और 2024-25 में (5 मार्च 2025 तक) 350 करोड़ रुपये जारी किए गए।
सचिन पायलट ने उठाया सवाल
छात्रवृत्ति का मामला सामने आने के बाद से सुर्खियों में है। जिसपर अब सचिन पायलट ने सवाल किया है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने खुलासा किया है कि राजस्थान में अनुसूचित जनजाति (एसटी) के छात्रों के लिए प्री-मैट्रिक और पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्तियों के 3.2 लाख आवेदन लंबित है. वर्ष 2023-24 में राज्य सरकार द्वारा पूर्व में उपलब्ध अनुदान का उपयोग प्रमाणपत्र (यूसी सर्टिफिकेट) प्रस्तुत नहीं किए जाने की वजह से एसटी छात्रों के लिए प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति के लिए केंद्र सरकार ने धनराशि जारी नहीं की। आगे सचिन पायलट ने कहा कि ये भाजपा के शिक्षा के क्षेत्र में खोखले दावों और अनुसूचित जनजाति के छात्रों के शैक्षणिक भविष्य के प्रति संवेदनहीनता का प्रमाण है। इन त्रुटियों को सरकार को तुरंत दूर करना चाहिए ताकि छात्र सहायता से वंचित ना रहें।