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SEACC बनाम DEACC: पर्यावरण मंजूरी पर छिड़ी कानूनी जंग, राजस्थान सरकार की दलील पर कोर्ट का बड़ा फैसला

Rajasthan Mining Extension: सुप्रीम कोर्ट का राजस्थान के खनन पट्टों पर बड़ा फैसला, दो महीने की राहत से लाखों मज़दूरों को मिली राहत, अब मई 2025 तक चल सकेंगी खदानें।

SEACC बनाम DEACC: पर्यावरण मंजूरी पर छिड़ी कानूनी जंग, राजस्थान सरकार की दलील पर कोर्ट का बड़ा फैसला

राजस्थान के खनन क्षेत्र से जुड़ी हजारों जिंदगियों को उस वक्त बड़ी राहत मिली जब सुप्रीम कोर्ट ने खनन संचालन की अवधि दो महीने के लिए बढ़ा दी। 31 मार्च 2025 को जिन खनन पट्टों की वैधता समाप्त होने वाली थी, अब वे मई के अंत तक जारी रह सकेंगे। यह फैसला न सिर्फ आर्थिक दृष्टि से अहम है, बल्कि इससे लाखों मज़दूरों की रोज़ी-रोटी भी फिलहाल सुरक्षित हो गई है।

सुप्रीम कोर्ट की बेंच, जिसमें न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और संजय कुमार शामिल थे, ने राजस्थान सरकार की ओर से दायर अंतरिम याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया। राज्य के अतिरिक्त महाधिवक्ता शिव मंगल शर्मा ने दलील दी थी कि यदि खनन कार्य एकाएक रुकते हैं, तो राज्य की अर्थव्यवस्था और हजारों परिवारों की आजीविका पर सीधा असर पड़ेगा।

राजस्थान का खनन क्षेत्र पिछले कई वर्षों से कानूनी जटिलताओं में उलझा हुआ है। खासकर पर्यावरणीय मंजूरी को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है—क्या यह अधिकार जिला स्तरीय समिति के पास होना चाहिए या राज्य स्तरीय पर्यावरण आकलन समिति (SEACC) को अंतिम मुहर लगानी चाहिए? राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने पहले ही जिला स्तर से जारी अनुमतियों को अमान्य करार दिया था, जब तक कि SEACC उन्हें पुनः सत्यापित न करे।

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल नवंबर में अपने आदेश में खनन कार्यों को 31 मार्च 2025 तक ही सीमित रखा था, जिससे पर्यावरणीय अनुपालन सुनिश्चित किया जा सके। लेकिन जैसे-जैसे ये तारीख करीब आई, राज्य सरकार ने हस्तक्षेप करते हुए कोर्ट से अतिरिक्त मोहलत की मांग की।

कोर्ट ने यह समझते हुए कि हजारों खदानें बंद होने की स्थिति में हैं और लाखों मजदूरों के रोजगार पर संकट मंडरा रहा है, दो महीने की अस्थायी राहत प्रदान की। अब सरकार के पास यह मौका है कि वह पर्यावरणीय अनुमतियों की प्रक्रिया को पारदर्शी और स्पष्ट बनाकर आगे की राह सुनिश्चित करे।