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नई आबकारी नीति पर सियासत गरम, हनुमान बेनीवाल ने सरकार पर साधा निशाना, ‘शराब माफिया को मिली खुली छूट’

New Excise Policy: राजस्थान सरकार का कहना है कि नई नीति से लाइसेंस प्रक्रिया आसान होगी, जिससे अवैध शराब बिक्री पर लगाम लगेगी। वहीं, हनुमान बेनीवाल का कहना है कि सामूहिक ठेका प्रणाली से शराब माफिया मजबूत होंगे और कानून-व्यवस्था बिगड़ेगी।

नई आबकारी नीति पर सियासत गरम, हनुमान बेनीवाल ने सरकार पर साधा निशाना, ‘शराब माफिया को मिली खुली छूट’

New Excise Policy: राजस्थान में नई आबकारी नीति लागू होने से पहले ही इस पर सियासी घमासान मच गया है। सरकार का दावा है कि नई नीति से अवैध शराब बिक्री पर रोक लगेगी और राजस्व बढ़ेगा, लेकिन नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल इसे शराब माफियाओं के लिए वरदान बता रहे हैं। उन्होंने इस नीति का कड़ा विरोध करते हुए आरोप लगाया कि सरकार माफियाओं के दबाव में काम कर रही है और प्रदेश में समानांतर सरकार चलाने की अनुमति दे रही है।

सरकार के दावे और बेनीवाल के आरोप

राजस्थान सरकार का कहना है कि नई नीति से लाइसेंस प्रक्रिया आसान होगी, जिससे अवैध शराब बिक्री पर लगाम लगेगी। वहीं, हनुमान बेनीवाल का कहना है कि सामूहिक ठेका प्रणाली से शराब माफिया मजबूत होंगे और कानून-व्यवस्था बिगड़ेगी। उन्होंने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा पर निशाना साधते हुए कहा कि ये नीति शराब माफियाओं को संरक्षण देने का काम करेगी।

क्या है सामूहिक ठेका प्रणाली का विवाद?

हनुमान बेनीवाल के अनुसार, नई नीति के तहत शराब ठेकों को अलग-अलग स्थानों पर देने के बजाय समूह में आवंटित किया जाएगा। इससे एकाधिकार की प्रवृत्ति बढ़ेगी और कुछ बड़े खिलाड़ी पूरे बाजार पर कब्जा कर लेंगे, जिससे छोटे व्यापारियों को नुकसान होगा और शराब माफिया को खुली छूट मिलेगी।

बेनीवाल ने पीएम मोदी और गृह मंत्री से की अपील

हनुमान बेनीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से हस्तक्षेप करने की मांग करते हुए कहा कि ये नीति माफिया राज को बढ़ावा देगी। उन्होंने सरकार से सवाल किया कि क्या नई नीति लाने से पहले शराब माफियाओं से कोई समझौता किया गया?

राजनीति या वाकई खतरा?

नई आबकारी नीति को लेकर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप जारी हैं। सरकार जहां इसे अवैध शराब पर नियंत्रण और पारदर्शिता लाने वाला कदम बता रही है, वहीं हनुमान बेनीवाल इसे माफिया राज को बढ़ावा देने वाला फैसला मान रहे हैं। अब देखना होगा कि सरकार अपने फैसले पर कायम रहती है या इस विरोध के चलते कोई बदलाव करती है।