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Kota Suicide पर सरकार सख्त, कानून लाने पर विचार, कोचिंग संस्थानों पर यूं लगेगी लगाम!

कोटा में छात्रों की आत्महत्या के बढ़ते मामले चिंता का विषय हैं। राजस्थान हाईकोर्ट ने इस पर संज्ञान लिया है और सरकार से जवाब मांगा है।  जानिए,क्या हैं कारण और क्या उठाए जा रहे हैं कदम।

Kota Suicide पर सरकार सख्त, कानून लाने पर विचार, कोचिंग संस्थानों पर यूं लगेगी लगाम!

जयपुर। देशभर कभी प्रतियोगी परीक्षाओं के तैयारी के लिए विख्यात कोटा आज सुसाइड हब बन गया है। यहां पर बीते कुछ सालों में आंकड़ा घटने की बजाय तेजी से ग्राफ बढ़ रहा है। 2025 की शुरुआत में अभी तक सात बच्चों ने आत्महत्या को गले लगाया। गहलोत हो या फिर भजनलाल सरकार अभी तक कोई जरूरी कदम नहीं उठाये गये हैं। यही वजह रही, कोटा में सुसाइड केस में दिन पर दिन बढ़ोत्तरी देखी जा रही है। आंकड़े बताते हैं, हर साल लगभग 17-18 स्टूडेंट्स मौत को गले लगा रहे हैं। 10 सालों में ये आंकड़ा 127 छात्रों तक पहुंच चुका है। 

राजस्थान हाईकोर्ट ने लिया था संज्ञान

बीते दिनों कोटा में छात्रों के आत्महत्या मामलों में हाईकोर्ट ने स्वता संज्ञान लेते हुए भजनलाल सरकार से जवाब मांगा था और कोचिंग संस्थानों के लिए क्या गाइडलाइन लागू की गई हैं, इसकी भी सूची पेश करने के लिए कहा है। अदालत के सख्त लहजे के बाद अब सरकार कोटा सुसाइड कोट रोकने के लिए सदन में बिल पेश कर सकती है। शुक्रवार से विधानसभा सत्र की शुरुआत हो रही है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो सरकार कानून ला सकती है, 16 साल से कम उम्र के बच्चों को प्रवेश देने में विचार किया जा सकता है। साथ ही कोचिंग संस्थानों के लिए भी गाइडलाइन जारी हो सकती हैं। 

कोटा सुसाइड केस पर राजनीति 

इस मसले पर हाईकोर्ट की टिप्पणी के बाद राजनीति भी शुरू हो गई है। राहुल गांधी से लेकर प्रियंका गांधी तक इस विषय पर चिंता जा चुके हैं। तो बीते दिनों चुरू से कांग्रेस सांसद राहुल कस्वां ने टिप्पणी करते हुए सरकार की कार्यशैली पर सवाल खड़े थी। वहीं, विधानसभा नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने इस विषय पर सरकार से जल्द से जल्द विचार करने की अपील की थी। 

कोटा प्रशासन के फूले हाथ-पांव 

कोटा में लगातार आत्महत्या के मामलों में वृद्धि को देखते हुए प्रशासन अब सतर्क हो गया है। डीएम ने शहर स्थित सभी हॉस्टल और पीजी संचालकों के लिए रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया है। वहीं, छात्रों के साथ डीएम खुद बातचीत कर रहे हैं। वहीं, छात्रों की मानसिक स्थिति को पहचानने के लिए  खास कोटा केयर्स अभियान चलाया जा रहा है। जहां अभी तक 700 लोगों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है।