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राजस्थान के मसालों की खुशबू दुनिया तक, लेकिन स्पाइसेज बोर्ड की नज़रअंदाजी कब तक?

Rajasthan Spice Board: राजस्थान अपनी समृद्ध कृषि परंपरा के लिए जाना जाता है, और यहां का मसाला उत्पादन देशभर में मशहूर है. जीरा, धनिया, सौंफ, मैथी और मिर्च जैसी फसलें राज्य के किसानों की आजीविका का अहम हिस्सा हैं. लेकिन देश में सबसे अधिक मसाले उगाने वाले राज्यों में शामिल होने के बावजूद, राजस्थान को स्पाइसेज बोर्ड (Spices Board of India) की उतनी सुविधाएं और योजनाएं नहीं मिल पा रही हैं, जितनी मिलनी चाहिए.

राजस्थान के मसालों की खुशबू दुनिया तक, लेकिन स्पाइसेज बोर्ड की नज़रअंदाजी कब तक?

Rajsthan Spices: राजस्थान अपनी समृद्ध कृषि परंपरा के लिए जाना जाता है, और यहां का मसाला उत्पादन देशभर में मशहूर है. जीरा, धनिया, सौंफ, मैथी और मिर्च जैसी फसलें राज्य के किसानों की आजीविका का अहम हिस्सा हैं. लेकिन देश में सबसे अधिक मसाले उगाने वाले राज्यों में शामिल होने के बावजूद, राजस्थान को स्पाइसेज बोर्ड (Spices Board of India) की उतनी सुविधाएं और योजनाएं नहीं मिल पा रही हैं, जितनी मिलनी चाहिए.

किसानों और विशेषज्ञों का कहना है कि अगर सरकार विशेष नीति लाए और स्पाइसेज बोर्ड राजस्थान पर ज्यादा ध्यान दे, तो मसाला उत्पादन और निर्यात दोनों में जबरदस्त बढ़ोतरी हो सकती है. लेकिन अब तक इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है.

राजस्थान का मसाला उत्पादन
राजस्थान का जलवायु मसाला फसलों के लिए अनुकूल है. यहां कम पानी में भी मसाले की फसलें अच्छी तरह उगाई जा सकती हैं. राज्य में मुख्य रूप से निम्न मसाले उगाए जाते हैं:

जीरा: नागौर, जोधपुर, बाड़मेर और पाली प्रमुख उत्पादक जिले हैं.
धनिया: कोटा, बारां और झालावाड़ का धनिया देशभर में मशहूर है.
सौंफ: चित्तौड़गढ़ और भीलवाड़ा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर उत्पादन होता है.
मेथी: टोंक और अजमेर की मेथी अच्छी गुणवत्ता वाली होती है.
मिर्च: जैसलमेर और जोधपुर क्षेत्र में तीखी मिर्च की खेती होती है.
राजस्थान का मसाला उत्पादन न केवल स्थानीय जरूरतें पूरी करता है, बल्कि देशभर में सप्लाई किया जाता है और अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक भी पहुंचता है.

स्पाइसेज बोर्ड की अनदेखी
स्पाइसेज बोर्ड ऑफ इंडिया का मुख्यालय केरल में है और इसका ध्यान मुख्य रूप से दक्षिण भारतीय राज्यों पर रहता है. तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश को मसाला उत्पादन और निर्यात को लेकर कई सरकारी योजनाओं का लाभ मिलता है, लेकिन राजस्थान को इस मामले में उतनी प्राथमिकता नहीं दी गई है.

राजस्थान के किसानों की शिकायतें:

मसाले की प्रोसेसिंग और वैल्यू एडिशन के लिए विशेष सहायता नहीं मिलती.
स्पाइसेज बोर्ड के तहत प्रशिक्षण कार्यक्रम और सब्सिडी योजनाएं राजस्थान में सीमित हैं.
निर्यात बढ़ाने के लिए बुनियादी ढांचा मजबूत नहीं किया गया.
मसालों की गुणवत्ता जांच के लिए आधुनिक प्रयोगशालाओं की जरूरत है.
अगर स्पाइसेज बोर्ड राजस्थान के मसाला उत्पादकों को भी उतनी ही सहूलियतें दे, जितनी दक्षिण भारत के किसानों को मिलती हैं, तो राज्य की अर्थव्यवस्था को जबरदस्त फायदा हो सकता है.

मसाला किसानों की मांग
राजस्थान के मसाला उत्पादक एक विशेष कृषि नीति की मांग कर रहे हैं, जिसमें मसाला उत्पादन को बढ़ावा देने और किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए योजनाएं शामिल हों.

राज्य के किसान क्या चाहते हैं?

मसाला प्रोसेसिंग यूनिट और कोल्ड स्टोरेज सुविधाएं
जीरा, धनिया और सौंफ के लिए सीधा निर्यात बढ़ाने की योजना
कृषि विज्ञान केंद्रों में मसालों से जुड़े विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम
स्पाइसेज बोर्ड के क्षेत्रीय केंद्र की स्थापना
मसालों की गुणवत्ता जांच के लिए आधुनिक लैब
किसानों का कहना है कि अगर सरकार इस दिशा में पहल करे तो राजस्थान जल्द ही देश का सबसे बड़ा मसाला निर्यातक राज्य बन सकता है.

राजस्थान सरकार की पहल और केंद्र से उम्मीदें
राजस्थान सरकार ने हाल ही में मसाला उत्पादकों की समस्याओं पर चर्चा की है. मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने केंद्र सरकार से अनुरोध किया है कि स्पाइसेज बोर्ड राजस्थान में भी अधिक ध्यान दे और मसाला उत्पादकों के लिए विशेष योजनाएं शुरू की जाएं.

वहीं, कृषि मंत्री ने कहा कि जल्द ही किसानों को प्रोसेसिंग यूनिट, सब्सिडी और तकनीकी सहायता देने के लिए एक नई मसाला नीति बनाई जाएगी.