Trendingट्रेंडिंग
विज़ुअल स्टोरी

और देखें
विज़ुअल स्टोरी

किस्सा सुनाते हुए बोले इम्तियाज अली 'कभी अमिताभ की नाक दिखती, तो कभी रेखा के कान', बताया क्यों नहीं बनेगी ‘जब वी मेट-2’

इम्तियाज अली से इवेंट में पूछा गया कि क्या वो ‘जब वी मेट’ का सीक्वल बनाएंगे, तो उन्होंने कहा कि मैं फिल्मों के सीक्वल बनाने में विश्वास नहीं करता। लेकिन अगर कोई ऐसी कहानी आई, जिसे दर्शक भी देखना चाहें, तो इस पर जरूर सोचूंगा।

किस्सा सुनाते हुए बोले इम्तियाज अली 'कभी अमिताभ की नाक दिखती, तो कभी रेखा के कान', बताया क्यों नहीं बनेगी ‘जब वी मेट-2’

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के आखिरी दिन यानी कि सोमवार को फेमस फिल्म मेकर इम्तियाज अली ने इवेंट में अपनी बातों से समा बांध दिया। जयपुर से अपना पुराना नाता बताते हुए फिल्म मेकर ने कहा कि जब वो 9वीं में फेल हो गए थे, वो उनके जीवन का सबसे बड़ा टर्निंग प्वाइंट रहा।

इम्तियाज बोले जयपुर से है पुराना नाता

इम्तियाज अली जब मंच पर पहुंचे तो लोगों ने उन्हें इम्तियाज जी कहना शुरु कर दिया। जिसके जवाब में वो मुस्कुराते हुए बोले कि मुझे बस इम्तियाज कहो। ‘इम्तियाज जी’ सुनकर ऐसा लगता है कि यह किसी और का नाम है। अगर किसी फिल्म मेकर की आलोचना होती है या उस पर पत्थर फेंके जाते हैं, तो वह उसी के नाम पर होना चाहिए। उन्होंने बताया कि उनका जयपुर से पुराना जुड़ाव है। उन्होंने कहा कि मेरे थिएटर के पास ‘जयपुर हेयर कटिंग सैलून’ था, जहां लोग मिथुन की तरह बाल कटवाते थे। मैं उन्हें देखता था और इस तरह जयपुर से मेरा कनेक्शन बना।

क्या बनेगा ‘जब वी मेट’ का सीक्वल?

इम्तियाज अली से इवेंट में पूछा गया कि क्या वो ‘जब वी मेट’ का सीक्वल बनाएंगे, तो उन्होंने कहा कि मैं फिल्मों के सीक्वल बनाने में विश्वास नहीं करता। लेकिन अगर कोई ऐसी कहानी आई, जिसे दर्शक भी देखना चाहें, तो इस पर जरूर सोचूंगा।

सफलता का बताया मंत्र, बोले फेल होना बना था टर्निंग प्वाइंट

इम्तियाज अली ने सफलता का मंत्र देते हुए बताया कि अगर व्यक्ति सच्चाई से काम करता है, तो उसे सफलता जरूर मिलती है। उन्होंने स्कूल के दिनों को याद करते हुए कहा कि जब वो 9वीं कक्षा में फेल हो गए थे। तब वो उनकी ज़िंदगी का सबसे बड़ा टर्निंग पॉइंट था। उन्होंने कहा कि इस असफलता ने मुझे सिखाया कि ज़िंदगी में ठोकरें खाकर ही आगे बढ़ा जाता है। इसी के चलते मैं अपने सपनों को पूरा करने की हिम्मत जुटा पाया।

सुनाया घर के पास के थियेटर का किस्सा

इम्तियाज अली ने आगे कहा कि उनके घर के पास एक थिएटर था। कई बार थिएटर का दरवाजा आधा खुला रहता था, जिससे मैं स्क्रीन का सिर्फ़ एक हिस्सा देख पाता था। कभी अमिताभ बच्चन की नाक दिखती थी, तो कभी रेखा के कान। जब मैंने फिल्म निर्देशन शुरू किया, तो यह अनुभव भी मेरे काम आया। साथ ही कहा कि आज का सिनेमा दर्शकों की पसंद के हिसाब से बन रहा है। यह डेमोक्रेसी है, जैसी फिल्में लोग देखेंगे, वैसी ही फिल्में बनेंगी।