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Rajasthan: रंगों से नहीं यहां खेली जाती है 'खूनी होली', हैरान कर देगी ये परंपरा

राजस्थान के डूंगरपुर में होली के दौरान पत्थर मारने की अनोखी परंपरा है, जिसमें लोग पत्थरों का उपयोग करते हैं। इसे 'पत्थरमार होली' कहा जाता है और यह सदियों से चली आ रही है।

Rajasthan: रंगों से नहीं यहां खेली जाती है 'खूनी होली', हैरान कर देगी ये परंपरा

जयपुर। जब बात अलग-अलग परंपराओं की आती है तो राजस्थान का नाम जरूर लिया जाता है। यहां अपने हर जिले की अलग परंपरा है होली के त्यौहार के रंग देशभर में देखने को मिल रहे हैं लेकिन क्या आपने किसी को पत्थर मारते हुए होली खेलते हुए देखा है अगर नहीं देखा तो आप देख लीजिए दर्शन राजस्थान के डूंगरपुर जिले में एक ऐसी प्रथा मानी जाती है जो हर किसी को हैरान कर देती है यहां पर रंग गुलाल नहीं बल्कि होली खेलने के लिए पत्रों का प्रयोग किया जाता है। 

रंग नहीं बड़े-बड़े पत्थरों से मनाई जाती है होली 

आदिवासी बहुल डूंगरपुर में होली के मौके पर दो घूट एक दूसरे पर जमकर पत्थर बरसाते हैं ।जिसमें हर साल कई लोग घायल होते हैं और इन्हें बाकायदा इलाज के लिए ले जाया जाता है। इस साल पत्थर की मार से लगभग 42 लोगों को चोटें आईं हैं। जिन्हें इलाज के लिए अस्पताल भेजा गया। यह परंपरा इस इलाके में सदियों से चली आ रही है। स्थानीय भाषा में इस खूनी होली के नाम से भी जाना जाता है। रघुनाम मंदिर के पास ये होली खेली जाती है जहां दूर-दूर से लोग आते हैं।

आखिर क्यों खेली जाती है पत्थर बार होली? 

 गांव के लोगों का मानना है कि पत्थर मार होली की वजह से जो लोग घायल होते हैं या फिर उनका खून जमीन पर गिरता है तो गांव में साल भर कोई अनहोनी नहीं होती और गांव संपन्न रहता है। अच्छी बारिश से लेकर खेत खलिहान भी खिल उठते हैं। अगर इस प्रथा को नहीं मनाया जाता है तो गांव में किसी भी वक्त अनहोनी हो सकती है। इसलिए हमारे पूर्वज रंग की जगह पत्थर मार होली खेलते थे और यह परंपरा आज भी चली आ रही है।