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'जाट' के प्रमोशन के दौरान सनी देओल ने किए तनोत माता के दर्शन, जवानों संग किया डांस फिर कही ये खास बात

भारत और पाकिस्तान की सीमा से सटे पश्निमी राजस्थान के जैसलमेर में तनोत माता का मंदिर है। इसकी महत्ता और प्रसिद्धी किसी से छुपी नहीं है। तभी तो अपनी अपकमिंग फिल्म जाट के रिलीज से पहले सनी देओल माता का आशीर्वाद लेने पहुंचे हैं।

'जाट' के प्रमोशन के दौरान सनी देओल ने किए तनोत माता के दर्शन, जवानों संग किया डांस फिर कही ये खास बात

बॉलीवुड एक्टर सनी देओल अपनी अपकमिंग फिल्म जाट के प्रमोशन में बिजी है। जिसके लिए वो बुधवार को राजस्थान के प्रसिद्ध तनोत माता के मंदिर पहुंचे। जहां पर उन्होंने माता के दर्शन किए। बीएसएफ जवानों ने उनका खूब स्वागत किया। साथ ही उन्होंने जवानों के साथ झूमकर डांस भी किया।

सनी देओल पहुंचे तनोत माता के दर्शन के लिए

भारत और पाकिस्तान की सीमा से सटे पश्निमी राजस्थान के जैसलमेर में तनोत माता का मंदिर है। इसकी महत्ता और प्रसिद्धी किसी से छुपी नहीं है। तभी तो अपनी अपकमिंग फिल्म जाट के रिलीज से पहले सनी देओल माता का आशीर्वाद लेने पहुंचे हैं। मंदिर में पहुंचने पर सबसे पहले बीएसएफ के डीआईजी योगेन्द्र सिंह राठौड़ ने उनका स्वागत किया। फिर सनी देओल ने तनोट माता के दर्शन किए और पूजा अर्चना की। इस दौरान अभिनेता ने अपनी आगामी फिल्म जाट की सफलता के लिए प्रार्थना की। 

आपको जानकर हैरानी होगी कि तनोट माता मंदिर से सन्नी देओल का खास रिश्ता है। सनी देओल के फिल्म बॉर्डर में सबसे पहले तनोट माता मंदिर को दर्शाया गया था और गदर-2 के प्रमोशन के लिए सनी देओल तनोट माता मंदिर आए थे। इसके बाद गदर-2 ने अपार सफलता अर्जित की थी। अब एक बार फिर से वो अपनी आगामी फिल्म जाट की सफलता के लिए तनोट माता मंदिर पहुंचे, जो कि उनकी तनोट माता के प्रति गहरी आस्था को दर्शाता है। 

जवानों संग सनी देओल ने किया जमकर डांस

तनोत माता के दर्शन करने के बाद सनी देओल जवानों के बीच पहुंचे। जहां पर उन्होंने सुरक्षा बल के जवानों के साथ गदर और बॉर्डर के गानों पर जमकर डांस भी किया है। फिर एक्टर ने बीएसएफ जवानों के साथ बातचीत की और विषम परिस्थितियों में अपनी ड्यूटी का निर्वहन कर रहे जवानों की सराहना भी की। एक्टर ने कहा कि 'देश की प्रथम रक्षा पंक्ति के तौर पर विख्यात सीमा सुरक्षा बल के जवानों की कर्तव्यनिष्ठा पर देश को गर्व है।' बताते चलें कि तनोट माता मंदिर जैसलमेर से 120 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और इसकी देखभाल बीएसएफ द्वारा की जाती है। साल 1965 और 1971 के युद्धों के दौरान पाकिस्तान की भीषण गोलाबारी से मंदिर, माता के चमत्कार से सुरक्षित बच गया था।